कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए इन 3 तरीकों से करता है PAK फंडिंग

punjabkesari.in Tuesday, Apr 18, 2017 - 04:19 PM (IST)

जम्मू कश्मीर: आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की पिछले साल 8 जुलाई को सेना के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई थी जिसके बाद कश्मीर घाटी में हिंसा की घटनाएं काफी बढ़ गई। इन घटनाओं के पीछे पाकिस्तान के नापाक इरादे किसी से छिपे नहीं हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां के आतंकी संगठन कश्मीर में हिंसा के लिए आर्थिक मदद पहुंचाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर के मसले पर कोई समर्थन न मिलता देख पाकिस्तान सीमा पार से ही आतंकवाद को बढ़ावा व घाटी के पत्थरबाजों को फंडिंग देकर इस मसले को 'जिंदा' रखना चाहता है। माना जा रहा है कि घाटी में आए दिन होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं में 'पाकिस्तान का पैसा' लगा है। आज हम आपको बताते हैं कि सीमा पार से किस तरह हिंसा पैदा करने के लिए कश्मीर में पैसे भेजे जाते हैं। 

 


1. पत्थरबाजों को की जाती है कैसलेश फंडिंग

एक न्यूज चैनल की पड़ताल में दावा किया गया है कि पाकिस्तान घाटी में पत्थरबाजों को कैशलेस फंडिंग करता है। पाकिस्तान इन पत्थरबाजों को पैसा देने के लिए उसी वस्तु विनिमय प्रणाली का सहारा ले रहा है, जिसके जरिए लोग पहले व्यापार करते थे। वस्तु विनिमय प्रणाली में लोग सामान का आदान-प्रदान करते हैं। ठीक इसी तरह पाकिस्तान भी पथराव करने वाले नौजवानों को फंडिंग कर रहा है। न्यूज चैनल के मुताबिक कई ट्रक पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से श्रीनगर सामान लेकर आते-जाते रहते हैं और इनके जरिए ही ट्रकों में पत्थरबाजों को पैसा पहुंचाया जाता है। मान लीजिए एक ट्रक मुजफ्फराबाद से 5 लाख रुपए का सामान लेकर श्रीनगर के लिए रवाना हुआ, लेकिन जब यह वापस मुजफ्फराबाद आता है तो इस पर सिर्फ 2 लाख रुपए का सामान रखा होता है। यही तीन लाख रुपए श्रीनगर में पत्थरबाजों तक पहुंचए जाते हैं। चैनल ने बताया कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को हाल ही में पाकिस्तान की इस नापाक चाल के बारे में पता चला है, जिसके बाद से श्रीनगर और मुजफ्फराबाद के बीच आने-जाने वाली गाड़ियों की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है।

 


2. धर्मार्थ संगठनों के जरिए भेजा जाता है 'चंदा'
इस साल मार्च में अयोजित 19वें एशियाई सुरक्षा सम्मेलन में एनआईए के एक अधिकारी अतुल गोयल ने बताया था कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन अपने धर्मार्थ संगठनों के जरिए पाक में लाखों रुपये का चंदा उगाही करते हैं, फिर उसे अपने लोगों के जरिए कश्मीर भेज दिया जाता है। आतंकी संगठन जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा 'फलह ए इंसानियत' धर्मार्थ संगठन और जैश ए मोहम्मद 'अल रहमत ट्रस्ट' चलाते हैं। इनके जरिए वे धर्म के नाम पर चंदा मांगते हैं और फिर उसे कश्मीर में आतंक के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि फलह ए इंसानियत पाकिस्तान में तेजी से बढ़ने वाला संगठन है।

 

 

3. हवाला के जरिए भेजे जाते हैं पैसे 
जुलाई 2016 में आईबी ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि घाटी में हिंसा के लिए करीब 100 करोड़ रुपये हर साल हवाला के जरिए पाकिस्तान से कश्मीर भेजे जाते हैं। यह सीधे तौर पर फंड अलगाववादियों को मिलता है, तब वे इसे युवाओं को सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए बांटते हैं। इसके अलावा अलगाववादी पत्थरबाजी के लिए भी युवाओं को रुपये देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रशिक्षित आतंकी भी पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने वाले प्रदर्शनों में शामिल होते हैं। आईबी के सूत्रों के अनुसार, आईएसआई आतंक की फंडिंग के लिए हिजबुल कमांडर सलाहुद्दीन और जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद के आतंकी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है।
 


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