‘वन इंडिया वन टैक्स’ में शामिल हो गया जम्मू-कश्मीर

Saturday, Jul 08, 2017 - 11:43 AM (IST)

श्रीनगर : देश भर में जहां 1 जुलाई से ‘वन इंडिया वन टैक्स’ यानी वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) लागू हो गया है। शुक्रवार रात 12 बजे से प्रदेश में जी.एस.टी. लागू कर दिया गया है। इस प्रकार से जम्मू-कश्मीर भी अन्य राज्यों की तरह ‘वन इंडिया वन टैक्स’ में शामिल हो गया है। इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली ने गुरुवार को कहा था कि जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में जी.एस.टी. विधेयक के पारित होने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के एकीकरण का सपना सच हो गया है। जेतली ने इस ऐतिहासिक सुधार की कल्पना करने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को भी दिया और कहा कि उसे कांग्रेस ने आगे बढ़ाया। इससे पहले बुधवार को नैशनल कांफ्रैंस और कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा में राज्य में जी.एस.टी. के कार्यान्वयन से जुड़े प्रस्ताव को पारित कर दिया गया था। जी.एस.टी. पास करने वाला जम्मू-कश्मीर आखिरी राज्य है। 

 

जी.एस.टी. से क्यों डर रहे हैं छोटे कारोबारी

जी.एस.टी. को 70 साल पहले आजाद हुए भारत के इतिहास का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है, जिसने करीब दर्जन भर से ज्यादा राज्य के करों को खत्म कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि यह कर लाखों कारोबारियों को टैक्स के दायरे में लाएगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा। इसी के चलते छोटे कारोबारी डर रहे हैं। हालांकि, जी.एस.टी. के आलोचक इसे जटिल बता रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इसका पालन करना खर्चीला होगा। नए कर नियमों के मुताबिक फर्मों को अपने बिल एक पोर्टल पर डालने होंगे, जो उन्हें सप्लायरों के बिल से मैच करवाया जाएगा। जिन कंपनियों ने टैक्स नंबर के लिए खुद को रजिस्टर नहीं करवाया है, उन्हें ग्राहकों से हाथ धोना पड़ सकता है। 

 

श्रीनगर में जी.एस.टी. परिषद की 2 दिवसीय बैठक में पहले दिन कुल 1211 वस्तुओं में से 1205 वस्तुओं और दूसरे दिन बाकी बची वस्तुओं की दरें तय की गईं। प्रस्तावित जी.एस.टी. दायरे में 4 स्तर पर दरें रखी गई हैं। इन्हें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के कर ढांचे में रखा गया है। एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि छोटी गैर-निबंधित कंपनियों के साथ अछूतों की तरह व्यवहार हो रहा है। सभी कंपनियां खुद को रजिस्टर करवाने और नियमों का पालन करने का खर्च नहीं उठा सकतीं। इसका नतीजा आप देखेंगे कि छोटे व्यापार बंद होंगे और कामगारों की छुट्टी होगी। 

 

नए नियमों के मुताबिक 20 लाख रुपए से ज्यादा का सालाना कारोबार करने वाली सभी फर्मों को जी.एस.टी. के लिए रजिस्टर करना होगा। विशेषज्ञ ने कहा कि छोटी कंपनियों के अस्तित्व का सवाल है या तो वे इसका पालन करें या भूखे रहें। गुड्स एंड सॢवसिज टैक्स किसी भी वस्तु या सेवा को खरीदने के समय खरीदार को चुकाना होता है। अब तक आप जब ऐसी कोई भी चीज खरीद करते थे तो आपको कई तरह के अप्रत्यक्ष कर भी देने पड़ते थे। जी.एस.टी. लागू होने पर देश में किसी भी जगह खरीदारी करने पर एक समान और केवल एक जी.एस.टी. टैक्स ही लगेगा। 

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