‘उड़ता जम्मू-कश्मीर’, नशे की गिरफ्त में युवा पीढ़ी

Monday, Jun 26, 2017 - 03:52 PM (IST)

श्रीनगर : पंजाब में फैलते नशे के कारोबार एवं उसके चंगुल में फंसते युवाओं को लेकर एक फिल्म आई थी ‘उड़ता पंजाब’ जो काफी चर्चित रही लेकिन पिछले कुछ समय के दौरान जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर विशेषकर मंदिरों की नगरी के रूप में मशहूर जम्मू शहर एवं इसके आसपास के इलाकों में नशे का चलन बढ़ा है। उसको देखते हुए निकट भविष्य में ‘उड़ता जम्मू-कश्मीर’ की परिस्थितियां बनने से इंकार नहीं किया जा सकता। राज्य पुलिस ने विकट होती जा रही इन परिस्थितियों पर अंकुश लगाने के लिए ‘संजीवनी’ नाम से एक अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत पुलिस को काफी सफलता मिली है। इसके साथ ही आबकारी विभाग और खासतौर पर युवाओं को नशों के प्रति आगाह करने के लिए ‘टीम जम्मू’ नाम से गठित एक गैर सरकारी संगठन समेत कई संस्थाएं समाज के विभिन्न वर्गों को नशों के आतंक में फंसने से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना बाकी है। विशेष तौर पर पहले से नशे के चंगुल में फंसे लोगों को इस अभिशाप से मुक्ति दिलाकर समाज में सम्मानजनक एवं स्वस्थ जीवन गुजारने के काबिल बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।

 

कश्मीर घाटी में पिछले 27 वर्ष से जारी सशस्त्र आतंकवाद तो पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन इसके साथ ही घाटी में एक आतंकवाद दूसरी किस्म का है जो हमारे युवाओं में नशे का जहर घोलने का काम कर रहा है। यह आतंकवाद है नशीले पदार्थों का। आबकारी विभाग के अनुसार कश्मीर संभाग के पुलवामा, अनंतनाग, कुलगाम, बडग़ाम एवं कुपवाड़ा और जम्मू संभाग के डोडा जिले में अफीम की खेती धड़ल्ले से हो रही है। पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने इन खेती को बर्बाद करने का कई बार प्रयास किया लेकिन आतंकवाद से प्रभावित इन जिलों में नशा उत्पादन की इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। सच्चाई तो यह है कि दक्षिण कश्मीर में तो आतंकवाद के साए में ही नशीले पदार्थों का यह अवैध कारोबार भी फल-फूल रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में पुलिस एवं अन्य सुरक्षा एजैंसियों का पूरा ध्यान कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने पर केंद्रित रहता है। ऐसे में, नशे जैसे गैर-कानूनी कारोबार की तरफ पुलिस भी ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती।

 

सूत्रों का कहना है कि असुरक्षा के इस वातावरण में स्थानीय लोगों ने वन भूमि के काफी बड़े भू-भाग पर अवैध कब्जा करके वहां अफीम की खेती शुरू कर दी है। अपनी जान को खतरा होने की आशंका के चलते संबंधित विभागों के अधिकारी भी इन स्थानों पर जाने से परहेज करते हैं। इस प्रकार, कश्मीर में नशा उत्पादन का समांतर आतंकवाद भी तेजी से जड़ें फैला रहा है। इसी प्रकार जम्मू में भी परिस्थितियां संतोषजनक नहीं हैं। बेशक जम्मू में नशा उत्पादन का अवैध कारोबार नहीं है लेकिन नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। शहर के कुछ इलाके तो बाकायदा नशीले पदार्थों के अड्डों के तौर पर बदनाम हैं और नशों के आदी नशेडिय़ों एवं युवाओं को इन इलाकों के आसपास मंडराते देखा जा सकता है। इसके साथ ही मंदिरों का शहर जम्मू सरकारी मान्यता प्राप्त शराब की खपत के सबसे बड़े केंद्र के तौर पर उभरकर सामने आया है। शहर एवं आसपास के क्षेत्र में शराब की दुकानों और बारों की संख्या से ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।   
 

 

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