महबूबा मुफ्ती पहले करेंगी मोदी से मुलाकात फिर लेंगी ठोस निर्णय

Thursday, Jan 21, 2016 - 12:52 PM (IST)

जम्मू कश्मीर : भाजपा के साथ मिलकर राज्य सरकार का गठन करने को लेकर अपनी पार्टी में भारी विरोधाभास से जूझ रही पी.डी.पी. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेंगी। हालांकि महबूबा की मोदी से भेंट का समय अभी निर्धारित नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुलाकात अगले सप्ताह होगी।
 

संभावना यही है कि पी.डी.पी. अपनी पुरानी सहयोगी भाजपा के साथ मिलकर ही सरकार का गठन करेगी, क्योंकि कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा में संख्या बल पूरा न होने के कारण पी.डी.पी. के पास भाजपा के अलावा कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है। जहां तक सरकार के गठन में हो रही देरी का सवाल है तो इसके जरिए पी.डी.पी. अध्यक्ष एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि मुफ्ती सरकार के 10 माह के कार्यकाल की समीक्षा करके विपक्ष की भूमिका निभाते हुए पी.डी.पी. खुद ही अपने सर्वोच्च नेता एवं संस्थापक की कार्यशैली पर सवाल उठा रही है।


दिसम्बर 2014 में विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में जब किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और 87 सदस्यीय विधानसभा में 28 विधायकों के साथ पी.डी.पी. पहले व 25 विधायकों के साथ भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी के तौर पर उभरी, तब खुद मुफ्ती के शब्दों में ‘किसी को उम्मीद नहीं थी कि नॉर्थ पोल और साऊथ पोल पर खड़ी इन पार्टियों का कभी मेल होगा’, लेकिन मुफ्ती मोहम्मद सईद ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए जम्मू-कश्मीर-लद्दाख तीनों खित्तों को प्रतिनिधित्व देते हुए पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार का गठन किया।

दुर्भाग्यवश 7 जनवरी को मुफ्ती के निधन हो जाने के बाद उनकी पुत्री एवं पी.डी.पी. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार के गठन पर चुप्पी न तोडऩे के कारण जम्मू-कश्मीर फिर से दुविधा की स्थिति में है। अनेक विकास योजनाएं अधर में हैं, राज्यपाल शासन लागू होने के बाद पूर्व प्रस्तावित विधानमंडल के बजट सत्र को स्थगित करना पड़ा है। ऐसे में, पी.डी.पी. न केवल मुफ्ती के सपने पूरे करने की बात कर रही है, बल्कि अपने सर्वोच्च नेता की कार्यप्रणाली की समीक्षा करने पर भी आमादा है। पिछली मुफ्ती सरकार की भी बात करें तो सत्तारूढ़ पी.डी.पी. और भाजपा दोनों पार्टियों के नेताओं ने सरकार की राह में इतने ज्यादा रोड़े अडक़ाए थे, इतने तो पूरा प्रयास करने के बावजूद विपक्षी नैशनल कांफ्रैंस, कांग्रेस और नैशनल पैंथर्स पार्टी भी नहीं अटका पाई थी। पी.डी.पी. अभी भी उसी परम्परा को आगे बढ़ा रही है।


मुफ्ती के निधन को 13 दिन गुजर जाने के बावजूद महबूबा द्वारा गठबंधन पर निर्णय न लिए जाने के पीछे कई कारण हैं। भाजपा के साथ गठबंधन करने के कारण पी.डी.पी. कश्मीर घाटी में नैशनल कांफ्रैंस, माकपा, पी.डी.एफ. समेत विपक्ष और अलगाववादी नेताओं के निशाने पर रही है। इसके चलते आम कश्मीरी अवाम में भी पी.डी.पी. की लोकप्रियता पर प्रतिकूल असर पड़ा। अब भाजपा के साथ गठबंधन पर नए सिरे से विचार करके पी.डी.पी. अपने राजनीतिक नफा-नुक्सान का आंकलन कर रही है। विपक्ष ही नहीं, पी.डी.पी. में वरिष्ठ नेताओं का एक धड़ा भी भाजपा के साथ गठबंधन का विरोध करता आया है, पी.डी.पी. नेतृत्व इनको भी शांत करने के प्रयास में है।

पिता के निधन के बाद तुरंत मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर महबूबा खुद भी गलत संकेत नहीं देना चाहती थीं। सरकार गठन में देरी करके उन्हें न केवल सहानुभूति हासिल करने का मौका मिला, बल्कि तमाम परिस्थितियों को समझकर भविष्य की रणनीति बनाने का भी मौका मिल गया। सबसे बड़ा कारण यह है कि खुद संयम दिखाकर पी.डी.पी. नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार सत्ता का स्वाद चखने वाली भाजपा की नई सरकार के प्रति आतुरता का भी लाभ उठाना चाहता है। इसके लिए पी.डी.पी. नेतृत्व मुफ्ती के विजन, एजैंडा ऑफ एलायंस और विकास के मुद्दे पर केंद्र सरकार से मोलभाव करके कश्मीर घाटी में अपनी राजनीतिक साख को मजबूती प्रदान करने का कोई अवसर नहीं छोडऩा चाहता।


लेकिन, मुफ्ती के निधन की सहानुभूति लहर धीमी पडऩे के साथ ही नैशनल कांफ्रैंस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला का भाजपा के प्रति नरम रुख और नैकां के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा अपनाई जा रही दबाव की रणनीति के बाद पी.डी.पी. नेतृत्व के पास अब नई सरकार के गठन के मुद्दे को लटकाए रखने के लिए ज्यादा वक्त नहीं है। सरकार में हो रही जो देरी अब तक पी.डी.पी. की भाव बढ़ा रही थी, उसी ने अब भाजपा के लिए विकल्प खड़े करने शुरू कर दिए हैं। पी.डी.पी. नेतृत्व ने बदली परिस्थितियों से सीख ली है, इसलिए सूत्रों का कहना है कि महबूबा मुफ्ती बहुत जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगी और सरकार के गठन पर ठोस निर्णय लेंगी।

 

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