गोली या पैलेट के शिकार लोग दूध या टॉफी खरीदने नहीं निकले थे: महबूबा

Friday, Aug 26, 2016 - 07:50 AM (IST)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर निशाना साधते हुए कहा कि सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए प्रदर्शनकारी सुरक्षाबल के शिविरों और पुलिस थानों से टॉफी अथवा दूध खरीदने नहीं गए थे। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में महबूबा ने कहाकि जब पुलिस थानों और सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमले किए गए तभी सुरक्षा बलों की ओर से की गई गोलीबारी में कुछ युवाओं की मौत हुई। वे सुरक्षा बलों के पास टॉफी अथवा दूध खरीदने के लिये नहीं गये थे। उन्होंने यह भी कहा कि घाटी में कफर्यू लगे होने के बावजूद लोग सड़को पर उतर आए थे।

उन्होंने युवाओं को हिंसा से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि पथराव करने और सुरक्षाबलों के शिविरों पर हमला करने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने सवाल किया, क्या एक बच्चा सेना के शिविर से टॉफी खरीदने गया था।क्या दक्षिण कश्मीर के दमहाल हांजीपोरा पुलिस थाने पर हमला करने वाला 15 साल का लड़का वहां दूध खरीदने गया था। महबूबा ने कहा कि बातचीत और लोगों के बीच मेल मिलाप के जरिये समस्या का समाधान चाहने वाले लोगों और सड़कों पर पथराव,सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमला एवं युवाओं को बहकाने वाले लोगों के बीच पहचान करने की जरुरत है।

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि राजनाथ सिंह बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से समस्याओं का हल चाहने वाले लोगों की तरफ ध्यान देगें। मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर घाटी में केवल पांच प्रतिशत लोगों ही हिंसा फैलाने में लिप्त है जोकि कश्मीर के गरीब लोगों को भकड़ा रहे है। महबूबा ने कहा कि घाटी के 95 प्रतिशत लोग हिंसा के खिलाफ हैं और वे सभी समस्याओं का समाधन वार्ता और शांतिपूर्ण प्रयासों के जरिए करने के पक्षधर हैं। वे पथराव और हिंसा नहीं चाहते।

उन्होंने कहा कि केवल पांच प्रतिशत लोग ही हिंसा की घटनाओं में शामिल हैं और जो लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहते हैं उनके जनजीवन को बाधित करने की अनुमति उपद्रवियों को नहीं दी जायेगी। उन्होंने कहा युवाओं को पथराव के लिए बहकाने वाले और विकास चाहने वाले लोगों की पहचान की जानी चाहिए। वर्ष 2010 और अब 2016 की स्थिति पर फर्क बताते हुए महबूबा ने कहा कि उस समय माचिल फर्जी मुठभेड़ के कारण लोग गुस्से में थे। उस समय और अब की स्थिति में काफी फर्क है। दोनों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। हिंसा का कोई कारण नहीं है। मेरी सरकार की क्या गलती है। तीन आतंकवादियों का मारा जाना कोई नई बात नहीं है यह कश्मीर में होता रहता है।

प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। पुलवामा के ख्रियु क्षेत्र में सुरक्षा बलों की ओर से कथित तौर पर की गई पिटाई में एक व्याख्याता के मारे जाने की घटना की जांच का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि व्याख्याता की मौत की जांच मैं भी चाहती हूं।

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