महबूबा को आर्टिकल 35-ए को चुनौती देने वाली याचिका खारिज होने की उम्मीद

punjabkesari.in Thursday, Aug 17, 2017 - 11:22 AM (IST)

श्रीनगर: मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें देश की उच्च संस्थानों पर भरोसा है और उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर देगा। मुफ्ती ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को यदि कोई खतरा हुआ तो सत्ता की लड़ाई या राजनीतिक विचारधाराएं बाधक नहीं बनेंगी। उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टी नैशनल कांफ्रैंस के नेता फारूख अब्दुल्ला की पिता तुल्य सलाह का पालन किया है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी युवकों के हाथों में बंदूकों की जगह पैन और किताबें होनी चाहिए थीं, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ तत्व ऐसा होने नहीं दे रहे हैं। कश्मीरियों को जम्मू संभाग के युवाओं से सबक सीखना चाहिए, जहां सभी धर्मों के लोग शांति से रह रहे हैं। मुफ्ती ने श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के बाद जनसभा को भी संबोधित किया। 

 

मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने शेख अब्दुल्ला का समर्थन किया था और भारत में सम्मिलित होने का निर्णय लिया, क्योंकि राज्य और देश में कई समानताएं थीं। नई दिल्ली के साथ-साथ श्रीनगर से भी गलतियां हुईं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानती कि उसके बाद क्या हुआ, गलतफहमियां क्यों बढ़ गईं? दोस्त बनने की बजाय हम दुश्मन बन गए।हम पिछले 30 वर्षों से हिंसा की गिरफ्त में हैं। मुफ्ती ने कहा कि देश के बहुत से लोगों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का ताज है। इसमें कोई शक नहीं है और यह धारणा इसी तरह बनी रहनी चाहिए।

 

राज्य में भाजपा-पी.डी.पी. गठबंधन सरकार चला रही मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को यदि कोई खतरा होता है तो राजनीतिक संघर्ष या राजनीतिक विचारधाराएं बाधक नहीं बनेंगी। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि जब जम्मू-कश्मीर की पहचान की बात आती है तो हम सब एकजुट हैं। सत्ता की लड़ाई और राजनीतिक लड़ाई अलग-अलग मुद्दे हैं। मेरे साथ बैठक करने के लिए मैं फारूख अब्दुल्ला को धन्यवाद देती हूं। मैंने राज्य के विशेष दर्जे को चुनौती देनी वाली याचिका के मुद्दे पर उनका मार्गदर्शन लिया। उन्होंने मुझे पिता तुल्य सलाह दी और मैंने उसी सलाह के अनुसार काम किया। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान राज्य में हिंसा को भड़काना बंद करेगा, ताकि भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता का रास्ता फिर से बन सके। उन्होंने कहा कि खूबसूरत वादियां, जंगल और पानी जैसे संसाधनों के बावजूद कश्मीर पिछड़ रहा है। जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, उसका खमियाजा हमेशा जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को भुगतना पड़ा है।

 

कश्मीर में राष्ट्रगान का अपमान, सम्मान में खड़े नहीं हुए ज्यादातर लोग

श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में ज्यादातर लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े नहीं हुए। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की ओर से ध्वजारोहण किए जाने के बाद हालांकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, विधायक, एम.एल.सी., नौकरशाह और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी सहित अन्य गण्यमान्य लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े हुए। यहां पहली बार परेड में भाग ले रही उत्तर प्रदेश पुलिस की टुकड़ी के लिए स्टेडियम में दर्शकों की कम संख्या चौंकाने वाली थी। उत्तर प्रदेश पुलिस दल का नेतृत्व कर रहे पुलिस उपाधीक्षक शिवदान सिंह ने कहा कि हमारे राज्य में स्वतंत्रता दिवस उत्सव की तरह मनाया जाता है।

 

कश्मीर पर प्रधानमंत्री के बयान का जम्मू-कश्मीर में स्वागत

कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का आज जम्मू-कश्मीर के लोगों और पार्टियों ने स्वागत किया है। पी.डी.पी. प्रमुख और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केवल वार्ता से ही समस्याओं का समाधान हो सकता है। नैशनल कांफ्रैंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य के लोगों ने पी.एम. के बयान का जोरदार स्वागत किया है और जल्द रुके पड़े कार्यों पर काम करने की जरूरत पर बल दिया है। उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवायज उमर फारूक ने भी कश्मीर के दलों के सुर में सुर मिलाते हुए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कश्मीर पर मोदी के बयान का स्वागत किया और कहा कि गोली व गाली की जगह मानवता और न्याय ने ली तो कश्मीर मुद्दे का समाधान हकीकत बन जाएगा।


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