35-ए की वकालत करने वाले जम्मू के ‘जयचंद’: अंकुर शर्मा

punjabkesari.in Thursday, Aug 24, 2017 - 11:26 AM (IST)

श्रीनगर: कई संवैधानिक मुद्दों पर केंद्र एवं राज्य सरकार को घेरने वाले कानूनी विशेषज्ञ एडवोकेट अंकुर शर्मा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 और इसे मजबूती प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35-ए को लागू रखने का मुख्य मकसद जम्मू संभाग के साथ पिछले 7 दशकों से चला आ रहा भेदभावपूर्ण रवैया जारी रखना है। उन्होंने कहा कि जम्मू के जो लोग इन कानूनों की वकालत कर रहे हैं, उन्हें जम्मू के ‘जयचंद’ की संज्ञा देना गलत नहीं होगा, क्योंकि ये लोग केवल कश्मीरियों की नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सोच को भी पुख्ता कर रहे हैं। 

 

‘पंजाब केसरी’ के साथ बातचीत में एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे का कश्मीरी हुक्मरानों ने अपने हित में जम कर दुरुपयोग किया है। ऐसे कई राष्ट्रीय कानून हैं जो जम्मू के लोगों के हित में हो सकते थे, लेकिन विशेष दर्जे एवं अलग संविधान के कारण उन्हें जम्मू-कश्मीर में लागू करने से रोक दिया गया। जहां तक बाहरी लोगों के जम्मू में आकर बसने का सवाल है तो जम्मू दिल्ली या मुम्बई आदि शहरों जैसा व्यापारिक केंद्र नहीं है, जहां लोग आने के लिए कतार में खड़े होंगे। यदि बाहर से राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग आएंगे तो जम्मू को लाभ ही होगा, क्योंकि इससे परिसीमन के दौरान राज्य विधानसभा में जम्मू संभाग की ज्यादा सीटें हो जाएंगी और जम्मू के लोगों का अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना साकार हो जाएगा, लेकिन कश्मीरियों को यह बात कैसे अच्छी लग सकती है।

 

विशेष दर्जे का लाभ उठा कर एक मुहिम के तहत जम्मू की जमीन पर कश्मीरियों को बसाया जा रहा है, जिसका मकसद पूरे जम्मू-कश्मीर का इस्लामीकरण करना है। यदि यह सिलसिला जारी रहा तो एक दिन पूरे जम्मू पर कश्मीरियों का कब्जा हो जाएगा। एडवोकेट शर्मा ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है, क्योंकि राज्य की 68 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है। इसके बावजूद राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का गठन न होने के कारण राज्य के अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ से वंचित हैं और राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक होने के कारण अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ राज्य के मुस्लिम समुदाय को मिल रहे हैं। 

 

उन्होंने इस भेदभाव को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी है और यह मामला ‘अंकुर शर्मा बनाम केंद्र सरकार एवं अन्य’ शीर्षक के तहत सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इतना ही नहीं, जम्मू संभाग का जनसांख्यकीय अनुपात बदलने के इरादे से हिन्दू बहुल्य जिलों जम्मू, ऊधमपुर, साम्बा एवं कठुआ आदि में रोशनी एक्ट के तहत मुस्लिम समुदाय के लोगों को जमीनों पर ऑनरशिप राइट्स दिए गए, जबकि इसी एक्ट के तहत हिन्दू, सिख, ईसाई एवं बौद्ध आदि अन्य समुदायों के मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसी जनसांख्यकीय अनुपात को बदलने के लिए योजनाबद्ध ढंग से हिन्दू बहुल जम्मू, साम्बा एवं कठुआ जिलों और बौद्ध बहुल लेह जिले में रोहिंग्या एवं बंगलादेशी मुस्लिमों को बसाया गया।   


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News