''हिंदुस्तान की पूरी सैना भी आ जाए तो भी आतंकिया से नहीं बचा सकती''

punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2015 - 05:17 PM (IST)

जम्मू: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं नेशनल कॉफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि सेना लगाना भी समाधान नहीं है। पूरी सेना लगा दी जाय तब भी आतंकवादियों से रक्षा नहीं की जा सकती। भारत -पाकिस्तान के बीच शीर्ष स्तर की मुलाकात से पहले नागरिक समाज को जनता से जनता के बीच संपर्क बढाकर मेलजोल से राह आसान करनी होगी। उन्होंने इसके लिए एक ग्रुप बनाने का आह्वान किया। सुचेतगढ की सीमा खोलने पर उन्होंने लोगों की राय मांगी जिसका पुरजोर समर्थन किया गया । 

नेकां अध्यक्ष ने कहा कि भारत -पाकिस्तान को मिलकर ही हल ढूंढना होगा। अमेरिका किसी का दोस्त नहीं है। उसे सिर्फ अपना हथियार बेचना है।  उन्होने कहा कि नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जरूर हैं लेकिन ताकत सेना के पास हैं। सेना ने वहां के लोगों को डरा रखा है कि दुश्मन हिंदुस्तान से वही बचा सकती है जबकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से ताल्लुक रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान से शांति की पहल की थी। वाजपेयी ने यह भी कहा था कि भारत परमाणु बम का पहले कभी इस्तेमाल नहीं करेगा।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को आडे हाथों लेते हुए डा अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि जो लोग राष्ट्रभक्तों के खूनखराबे और कत्लेआम के लिए आतंकवादियों को उकसाते थे , आज वही लोग हुकूमत में हैं। उन्होने आरोप लगाया कि पीडीपी का ईमान नहीं है। खुद को पक्का ङ्क्षहदुस्तानी बताते हुए नेकां अध्यक्ष ने कहा कि मैं चीनी या पाकिस्तानी मुसलमान नहीं हूं। 

सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बी एल सर्राफ के इस सवाल पर कि कश्मीरी पंडितों की वापसी का विरोध होने पर नेकां उनकी मुखालफत क्यों नहीं करती, डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि आई के गुजराल के प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए 50 गाडियां मंगायी थीं लेकिन उसी समय गांदेरबल और बडगाम में कश्मीरी पंडितों को मार डाला गया। कश्मीर के हालात तब तक ठीक नहीं हो सकते जब तक पाकिस्तान को यह समझ में न आ जाय कि कश्मीर उसका हिस्सा नहीं है।

डॉ .अब्दुल्ला ने कहा इस समय राज्य में सबसे बडी समस्या धर्म के आधार पर लोगों को बांटने की है। उन्होंने सभी धर्माें के लोगो से एकता बनाए रखने का आह्वान करते हुए कहा कि सबसे पहले देश के बारे में सोचना चाहिए । 


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