Jammu-kashmir: 32 साल बाद कश्मीर के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई जाएगी हिंदी, विपक्ष कर रहा विरोध

punjabkesari.in Monday, Feb 13, 2023 - 03:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कश्मीर में करीब 32 साल बाद प्राइवेट स्कूलों में हिंदी को अलग भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर शिक्षा परिषद ने इसके लिए आठ सदस्यों वाली कमेटी बनाई है। कमेटी कश्मीर के 20 फरवरी तक 3 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में पहली से 10वीं क्लास तक हिंदी भाषा को पढ़ाने के लिए सिफारिशें सौंपेगी। जम्मू रीजन में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है।

 

जम्मू के बच्चे हिंदी को भाषा के रूप में पढ़ने का विकल्प चुनते हैं। जबकि कश्मीर में अभी हिंदी पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है। इसकी बड़ी वजह घाटी के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में हिंदी टीचरों की कमी।  1990 के बाद से हिंदी पढ़ाने वाले कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए थे।

 

हिंदी पर राजनीति शुरू

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिंदी को थोपना राष्ट्रीय एकता पर हमला करने जैसा है और इससे केंद्र शासित प्रदेश में विभाजन की रेखाएं और गहरी होंगी। तारिगामी कहा कि भाजपा सरकार द्वारा हिंदी थोपने का फैसला मनमाना है और इसका एकमात्र उद्देश्य बहुभाषी और बहु नस्ली जम्मू-कश्मीर के समाज में विभाजन की रेखा को और गहरा करना है।

 

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (JKSCERT) द्वारा सभी स्कूलों में पहली से 10वीं कक्षा तक हिंद पढ़ाने का निर्देश विभाजन को और गहरा करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी अनुशंसाएं स्वतंत्रता की विरासत, एकता एवं विविधता को पोषित करने के संवैधानिक वादे को कमतर करता है। तारिगामी ने कहा कि हिंदी को अन्य भाषाओं की कीमत पर तरजीह देना राष्ट्रीय एकता पर हमला करने जैसा है। उन्होंने कहा कि शिक्षणिक प्रणाली और प्रशासनिक संस्थानों ने ‘उर्दू' को स्वीकार किया है ‘जो आधुनिक भारतीय भाषा' है और इसका संबंध महाराजा हरि सिंह द्वारा 1920 में घोषित आधिकारिक भाषा से है।


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Content Writer

Seema Sharma

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