कश्मीर हिंसा में शामिल थे 150 सरकारी कर्मचाीह और पुलिसकर्मी, अब होगी कड़ी कार्रवाई

Monday, Sep 26, 2016 - 05:30 PM (IST)

श्रीनगर : कश्मीर में हिंसा और बंद के लिए सरकार के राजपत्रित अधिकारी और पुलिस कर्मी भी कथित तौर पर जिम्मेदार पाए गए हैं। अलगाववादियों की मंशा को पूरा करने में अधिकारी बराबर मदद कर रहे हैं। ऐसे 150 सरकारी कर्मचारियों की अब तक पहचान की जा चुकी है। सूबे की सरकार ने हालांकि इनके खिलाफ  सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

देश विरोधी रैलियों में शामिल होने की जानकारी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ऐसे तत्वों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद जांच एजेंसियों ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, मछली पालन, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, राजस्व, स्टेट मोटर गैराज, श्रीनगर नगर निगम और पर्यटन विभाग के 150 अफसरों, कर्मचारियों की पहचान की है। इनमें सबसे ज्यादा 40 शिक्षा विभाग से हैं।


सात राजपत्रित अधिकारियों में एक जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में इंजीनियर है, जबकि एक वित्त विभाग में लेखाधिकारी। कश्मीर विश्वविद्यालय के एक असिस्टेंट रजिस्ट्रार के अलावा एक कॉलेज लेक्चरर, एक बीडीओ और एक डिप्टी चीफ  एजुकेशन आफिसर रैंक का अधिकारी भी इसमें शामिल है।
पत्थरबाजी और राष्ट्रविरोधी रैलियों में हिस्सा लेने व इनके आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों में निसार डारए रियाज गनई, रियाज अहमद, फिरदौस बट, एजाज जरगर, मुश्ताक के अलावा एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी अब्दुल रहमान वानी शामिल है। वानी जिला कुपवाड़ा का रहने वाला है, जबकि अन्य जिला बडग़ाम से संबंधित बताए जाते हैं।


राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल सबसे ज्यादा 40 सरकारी अधिकारी जिला अनंतनाग से संबंधित हैं। श्रीनगर जिले से अब तक सिर्फ पांच ही सरकारी अधिकारियों के नाम हिसा भडक़ाने वाले तत्वों के साथ जुड़े हैं। गांदरबल से 20ए कुपवाड़ा से 21 और पुलवामा जिले से 26 सरकारी अधिकारी व कर्मियों के नाम इस सूची में हैं।


अब पहले की अपेक्षा घाटी में हालात में काफी हद तक सुधार नजर आ रहा है। उत्तरी कश्मीर में हंदवाड़ा और श्रीनगर के तीन थाना
क्षेत्रों के अलावा वादी में कहीं भी कफ्र्यू नहीं है। सडक़ों पर निजी वाहनों की संख्या दिनभर खूब रही। कई इलाकों में सुबह 11 बजे तक दुकानों के आधे शटर भी खुले रहे। शिक्षण संस्थान बेशक बंद रहे, लेकिन सरकारी कार्यालय खुले थे और कर्मचारियों की उपस्थिति भी बीते दिनों से बेहतर थी।


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