स्वच्छता में पिछड़े जम्मू और श्रीनगर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने में कामयाब रहे उपमुख्यमंत्री

punjabkesari.in Monday, Jun 26, 2017 - 01:41 PM (IST)

श्रीनगर : केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू द्वारा घोषित स्मार्ट सिटी की सूची में जम्मू-कश्मीर के दोनों राजधानी शहरों का नाम आना राज्य में आवास एवं शहरी विकास विभाग का कार्यभार संभाल रहे उप-मुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि यदि दोनों राजधानी शहरों में से एक भी स्मार्ट सिटी घोषित होने से रह जाता तो राज्य में उठने वाले सियासी तूफान के बीच उन्हें जवाब देना मुश्किल हो जाता। नि:संदेह, डेढ़ माह पूर्व ही देश के स्वच्छ शहरों की सूची में पिछडने के बाद बेहद दूषित माने जा रहे जम्मू और श्रीनगर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाना आसान नहीं था, लेकिन डा. निर्मल सिंह ने केंद्र सरकार में अपने संपर्कों का इस्तेमाल करके इस असाध्य कार्य में सफलता प्राप्त की, जिससे उन्हें न केवल व्यक्तिगत तौर पर राहत मिली बल्कि उनका सियासी कद भी बढ़ा है।

 

केंद्र सरकार ने जब पूरे जम्मू-कश्मीर राज्य को एक ही स्मार्ट सिटी देने की घोषणा की तो हर मामले की तरह जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों के बीच स्मार्ट सिटी लेने को लेकर खींचतान होना तय था। इसके अलावा राज्य को केवल एक स्मार्ट सिटी दिए जाने को लेकर उप-मुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया गया। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि इससे संबंधित आवास एवं शहरी विकास विभाग का जिम्मा उन्हीं के पास था। उप-मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष रखा और राज्य के हालात को देखते हुए जम्मू एवं श्रीनगर दोनों राजधानी शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा देने की मांग उठाई। एक के बजाय दो स्मार्ट सिटी की मांग उठने के कारण केंद्र सरकार द्वारा तमाम मानदंडों पर फिर से विचार किए जाने के कारण राज्य को स्मार्ट सिटी मिलने में देरी हो गई, लेकिन इस बीच केंद्र की तरफ से जब-जब स्मार्ट सिटी की घोषणा की जाती तो राज्य को स्मार्ट सिटी न मिलने पर विरोधियों द्वारा डा. सिंह के खिलाफ खूब दुष्प्रचार किया जाता। 5 मई, 2017 को स्वच्छ भारत अभियान के तहत जब क्वालिटी काऊंसिल ऑफ इंडिया ने देश के 434 शहरों में साफ-सफाई को लेकर सर्वेक्षण किया तो राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर को 241वां और शीतकालीन राजधानी जम्मू को 251वां स्थान मिला। 

 

इस प्रकार इन दोनों शहरों के स्मार्ट सिटी घोषित होने की संभावनाओं पर भी पानी फिरता नजर आया। विरोधियों ने जम्मू और श्रीनगर को दूषित करने के लिए भी डा. निर्मल सिंह को जिम्मेदार ठहराया, मानो सारी गंदगी उन्होंने ही फैलाई हो। दोनों शहर दूषित होने के बाद डा. सिंह फिर सक्रिय हुए और केंद्र सरकार में अपने संपर्कों को भुनाते हुए जम्मू एवं श्रीनगर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने में कामयाब हो गए। डा. निर्मल सिंह भी इस बात को भली प्रकार जानते थे कि यदि जम्मू को स्मार्ट सिटी का दर्जा नहीं मिला तो उनके विरोधी आम जनमानस के बीच उनकी छवि तार-तार कर देंगे और यदि श्रीनगर स्मार्ट सिटी नहीं बन पाया तो कश्मीर के पहले से बिगड़े हालात के बीच यह बात आग में घी का काम करेगी। ऐसे में, दोनों शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के तौर पर उप-मुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह को कोई सियासी लाभ मिले या न मिले, लेकिन विरोधियों द्वारा उन्हें घेरने का एक बड़ा अवसर समाप्त होने के कारण उनके लिए यह राहत की बात जरूर है। 


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