जानिए, किन पड़ावों को पार कर होते हैं बाबा बर्फानी के दर्शन

Monday, Jun 26, 2017 - 10:50 AM (IST)

श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में प्रतिवर्ष बर्फ से बनने वाले प्राकृतिक हिमशिवलिंग की पूजा की जाती है। महादेव प्रति वर्ष श्री अमरनाथ गुफा में अपने भक्तों को हिमशिवलिंग के रूप में दर्शन देते हैं। इस पवित्र गुफा में पहुंचने के लिए भक्तों को विभिन्न पड़ावों को पार करके जाना पड़ता है। 

अमरनाथ यात्रा का आरंभ पहलगाम से होता है। यह जगह इतनी मनोरम है ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपनी सारी खूबसूरती इसी स्थान को दे दी है। चैक‌िंग के दौरान भोले बाबा के भक्तों को आगे जाने की अनुमति मिलती है।

अमरनाथ यात्रा का दूसरा पड़ाव है चंदनबाड़ी। माना जाता है की भोलेनाथ और माता पार्वती जब अमरनाथ गुफा में जा रहे थे तो भोलेनाथ ने अपने चंदन और भस्म को यहां अपने अंग से अलग कर रख दिया था।
 
अमरनाथ यात्रा का तीसरा पड़ाव है प‌िस्सु घाटी जो प‌िस्सु टॉप नाम से भी जाना जाता है। भोले नाथ ने यहां अपनी जटाओं से प‌िस्सूओं को उतार कर रखा था। अन्य प्राचीन कथा के अनुसार इस घाटी पर देवताओं और राक्षसों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था जिसमें दानव हार गए थे और देवों की विजय हुई थी।

चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर की दूरी पर शेषनाग झील है। इस स्थान पर भगवान शिव ने शेषनाग को अपने गले से उतार कर रखा था। माना जाता है की दिन में एक बार शेषनाग झील से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते हैं। शेषनाग झील से आठ मील की दूरी पर पांच छोटी-छोटी धाराएं प्रवाहित होती हैं इसलिए इस जगह को पंचतरणी नाम से जाना जाता है।

शेषनाग से आठ मील के फासले पर पंचतरणी है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे से लेकर महागुणास चोटी से पंचतरणी तक का सारा मार्ग उतराई का है। पंचतरणी से अमरनाथ गुफा का मार्ग आठ किलोमीटर है। बर्फ से ढका होने के कारण यह मार्ग काफी कठिन है। इसके बाद श्री अमरनाथ जी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त होता है।  

श्री अमरनाथ गुफा जी के साथ ही देवी पार्वती का शक्तिपीठ भी स्थापित है जो महामाया शक्त‌िपीठ के नाम से विख्यात है। इस स्थान पर देवी सती का गला ग‌िरा था। पवित्र गुफा में जहां बाबा बर्फानी हिमलिंग के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं वहीं हिमनिर्मित पार्वती पीठ भी प्रकृतिक रूप से बनता है। पार्वती पीठ को ही महामाया शक्तिपीठ कहा जाता है। सावन माह की पूर्णिमा को हिमलिंग और शक्तिपीठ दोनों के दर्शन किए जा सकते हैं। माना जाता है की इन दोनों के दर्शन करने से श‌िवलोक में स्‍थान प्राप्त होता है।

हिम शिवलिंग का आकार 
प्रतिकूल मौसम के बावजूद बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए प्रति वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक दंत कथा के अनुसार रक्षाबंधन की पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं। ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास की प्रतिपदा को हिम के लिंग का निर्माण स्वयं आरंभ होता है और धीरे-धीरे लिंग का आकार धारण कर लेता है तथा पूर्णिमा के दिन पूर्ण हो जाता है व अगले दिन से घटने लगता है। अमावस्या या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को यह लिंग पूर्णत: अदृश्य हो जाता है और इस प्रकार यह क्रम निरंतर चलता रहता है। यह हिम शिवलिंग कभी भी पूर्णत: लुप्त नहीं होता, आकार अवश्य ही छोटा-बड़ा हो जाता है। भगवान शिव इस गुफा में पहले पहल श्रावण की पूर्णिमा को आए थे इसलिए उस दिन को श्री अमरनाथ की यात्रा को विशेष महत्व मिला। रक्षाबंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने ‘हिमशिवलिंग’ के पास स्थापित कर दी जाती है।

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