कनाडा में सुरक्षित नहीं हैं भारतीय राजनयिक परिसर, भारत ने वैश्विक मामलों के विभाग से की शिकायत

punjabkesari.in Friday, Jun 30, 2023 - 12:59 PM (IST)

जालंधर: कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियां इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि भारतीय राजनयिक परिसर भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। भारत ने बीते मार्च में सिखों के अटावा में हुए विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए अपने राजनयिक परिसरों की सुरक्षा  के बारे में कनाडा के वैश्विक मामलों के विभाग से औपचारिक शिकायत की है। भारत ने खालिस्तानी सिख प्रदर्शनकारियों पर भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों में बाधा डालने और भ्रम पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि विश्व सिख संगठन इसके लिए जिम्मेदार है। कनाडा में भारत के राजदूत संजय कुमार वर्मा के हवाले से स्थानीय मीडिया  "द ग्लोब एंड मेल" में कहा गया है कि उच्चायोग के कर्मचारियों को ओटावा के न्यू एडिनबर्ग में उनके राजनयिक मिशन पर 23 मार्च के प्रदर्शन से खतरा महसूस हुआ था। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी काफी आक्रामक दिखाई दिखाई दिए थे। वे हमारी रेलिंग के करीब आ गए थे और  तोड़फोड़ करने की कोशिश कर रहे थे, जो बहुत ही भयावह था।

 

उच्चायोग पर हैंड ग्रेनेड फेंके जाने की जारी है जांच

इस सप्ताह भारतीय समाचार पत्रों ने देश की आतंकवाद विरोधी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए ओटावा में हुई घटना को एक हमले के रूप में वर्णित किया है। 24 जून को एक अखबार की खबर में लिखा है कि खालिस्तान समर्थकों की भीड़ ने ओटावा में भारतीय उच्चायोग पर हमला किया था, जिसके दौरान इमारत पर दो ग्रेनेड फेंके गए थे। जबकि वर्मा ने हैंड ग्रेनेड के बारे में चर्चा करने से इनकार दिया। संजय कुमार वर्मा ने कहा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आर.सी.एम.पी.) और ओटावा पुलिस घटना की जांच कर रही है। आर.सी.एम.पी. ने ओटावा पुलिस को मामले से संबंधित प्रश्न भी भेजे हैं। मीडिया रिपोर्ट को दिए बयान में हालांकि ओटावा पुलिस ने यही बताया कि कुछ ऐसे कनस्तर जैसे उपकरण प्राप्त किए गए हैं जिनसे धुंआ उठता है। ओटावा पुलिस सेवा ने एक बयान में कहा कि जांच की अखंडता की रक्षा के लिए इस समय कोई और विवरण साझा नहीं किया जाएगा।

 

भारतीय राजदूत बोले प्रदर्शनकारी नहीं गुंडे थे!

वैश्विक मामलों के विभाग ने कहा कि वह विशिष्ट मिशनों से जुड़े राजनयिक सुरक्षा मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है, लेकिन यह भी कहा कि कनाडा में सभी विदेशी मिशनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। कनाडा में लगभग 7.1 लाख सिख आबादी है जो कुल जनसंख्या का 2.1 प्रतिशत है। इनमें से कुछ सिख सिख स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करते हैं जो खालिस्तान नामक एक संप्रभु मातृभूमि बनाने की मांग कर रहा है। यह एक प्रस्ताव है जिसका भारत सरकार ने कड़ा विरोध किया है। उच्चायुक्त वर्मा ने कहा कि किसी को भी भारत में राजनयिक मिशनों के करीब आने की अनुमति नहीं है। उन्होंने 23 मार्च के प्रदर्शनकारियों के बारे में कहा कि वे प्रदर्शनकारी नहीं अपितु स्पष्ट तौर पर गुंडे हैं। वर्मा ने बताया कि भारत ने अनुरोध किया है कि कनाडा यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि टोरंटो में भारत के राजनयिक मिशन और उसके वाणिज्य दूतावासों को पर्याप्त रूप से संरक्षित किया जाए ताकि हमें खतरा महसूस न हो।

 

विश्व सिख संगठन हमले से किया इनकार

विश्व सिख संगठन के कानूनी सलाहकार और प्रवक्ता बलप्रीत सिंह ने भारत सरकार पर भारत में मीडिया आउटलेट्स को काल्पनिक जानकारी प्रदान करके सिखों को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि धूम्र कनस्तर और हैंड ग्रेनेड से बहुत अलग होते हैं। हम दो बहुत अलग चीजों और दो अलग-अलग परिणाम के खतरों के बारे में बात कर रहे हैं।  बलप्रीत सिंह ने कहा कि अगर वास्तव में ओटावा में किसी दूतावास पर ग्रेनेड हमला हुआ होता तो इसे कनाडाई समाचारों में व्यापक रूप से कवर किया गया होता। उन्होंने कहा कि कनाडा में प्रदर्शन और सक्रियता हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का हिस्सा हैं। हालांकि ओटावा स्थित एक वकालत समूह विश्व सिख संगठन कि यह पंजाब राज्य में भारत सरकार की कार्रवाई का विरोध करना था। सिख अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह की तलाश के दौरान भारतीय अधिकारियों ने वहां संचार और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था।


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Content Writer

Seema Sharma

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