मौसम के लिहाज से सबसे महंगा साबित हुआ साल 2017: डब्ल्यूएमओ

Friday, Mar 23, 2018 - 11:51 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र: दुनियाभर के कई देशों के लिए मौसम और जलवायु आपदाओं के लिहाज से पिछला साल काफी महंगा साबित हुआ। इन देशों को मौसम और जलवायु संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए 320 अरब डॉलर चुकाने पड़े। भारतीय उपमहाद्वीप के कई क्षेत्रों में मॉनसून के कारण आई भीषण बाढ़ और पूर्वी अफ्रीका के कई हिस्सों में सूखा पडऩे की वजह से साल2017 मौसम के लिहाज से अबतक का सबसे महंगा साल दर्ज किया गया। 

विश्व मौसम विज्ञान संस्था( डब्ल्यूएमओ) ने अपनी रिपोर्ट "जलवायु स्थिति 2017’’ में कहा कि उत्तरी अटलांटिक में चक्रवात का मौसम अमेरिका के लिए सबसे महंगा साबित हुआ और इनके चलते कैरिबिया में डोमिनिका जैसे छोटे द्वीपों में दशकों से हुआ विकास नष्ट हो गया। रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्वीप में मॉनसून के कारण आई भीषण बाढ़ और पूर्वी अफ्रीका में सूखे की त्रासदी ने मौसम और जलवायु की भयंकर घटनाओं के लिहाज से साल 2017 को अबतक का सबसे महंगा साल बनाया। इसमें बताया गया कि मौसम और जलवायु संबंधी स्थितियों पर देशों को करीब 320 अरब डॉलर का खर्च करना पड़ा। 

रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में अत्याधिक बारिश से बांग्लादेश के उत्तरपूर्वी कृषि क्षेत्रों में बाढ़ आई। दक्षिण एशिया में मॉनसून का मौसम क्षेत्र में अबतक की सबसे भयंकर बाढ़ लेकर आया। जून से लेकर अगस्त 2017 के बीच नेपाल, बांग्लादेश और उत्तर भारत में बाढ़ ने लाखों लोगों को प्रभावित किया और इसके चलते तीनों देशों में कई मौतें हुईं व कई लोग विस्थापित हुए। इसमें बताया गया कि हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में पिछले साल दो भयंकर तूफान आए। मई के अंत में मोरा तूफान और दिसंबर की शुरुआत में ओखी तूफान के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। 

साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि जून से सितंबर के बीच मॉनसून के मौसम के चलते भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्से प्रभावित हुए। हालांकि पूरे क्षेत्र में कुल मौसमी वर्षा औसत के करीब रही। इस दौरान भारत, बांग्लादेश और नेपाल में 1,200 से ज्यादा मौतें हुईं जबकि चार करोड़ लोग प्रभावित हुए।     

Punjab Kesari

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