गिद्ध ने पहले ही दे दिए थे पाकिस्तान की हार के संकेत !

Thursday, May 18, 2017 - 05:18 PM (IST)

इस्लामाबादः बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याहया खान के साथ एक वाक्या हुआ, जिससे आभास हो गया था कि पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ेगा। एक गिद्ध ने पाकिस्तान की हार का संकेत पहले ही दे दिया था। बात 3 दिसंबर 1971 की है। दोपहर का वक्त था। जनरल याहया खान अपनी एडीसी स्क्वार्डन लीडर अरशद समी खां से कहा कि 4 बजे जनरल हमीद राष्ट्रपति भवन आएंगे। उसके बाद हम लोग एक गुप्त मीटिंग में  जाएंगे, जिसके बारे में मैं तुम्हें भी नहीं बताना चाहता हूं।

ठीक 4 बजे जनरल हमीद खुद अपनी टोयोटा मिलिट्री जीप चलाते राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उनका एडीसी उनकी बगल वाली सीट पर बैठा था। लेकिन जब कार रूकी तो एडीसी पीछे वाली सीट पर आ गया। आगे की सीट पर जनरल याहया खान बैठे और जनरल हमीद खुद गाड़ी चला रहे थे। पीछे की सीट पर दोनों एडीसी बैठे थे। जैसे ही जीप आगे बढ़ी, एक बड़ा सा गिद्ध पता नहीं कहां से आ गया और कार के सामने बैठ गया। जनरल हमीद ने धीरे-धीरे जीप आगे बढ़ानी शुरू की, ताकि गिद्ध सामने से हट जाए। लेकिन उनकी ये कोशिश नाकाम साबित हुई और गिद्ध हटने को तैयार नहीं था। जनरल हमीद ने हॉर्न बजाया, लेकिन इसके बावजूद गिद्ध नहीं हटा। याहया ने जीप से उतरकर अपने बेंत से उसे भगाने की कोशिश की। फिर भी गिद्ध टस से मस नहीं हुआ। 

इतना सब होने के बाद पास में काम कर रहा एक माली आया और उसने फावड़े से गिद्ध को भगाने की कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद गिद्ध को रास्ते से हटाया जा सका और याहया की जीप आगे बढ़ी। 1971 के इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी और पाकिस्तान के 2 टुकड़े हो गए थे। पाकिस्तान के विदेश सचिव सुल्तान मोहम्मद खां ने अपनी आत्मकथा मेमॉएर्स एंड रेफ्लेक्शन ऑफ ए पाकिस्तानी डिप्लोमैट मे लिखते हैं कि याहया खान को भरोसा नहीं था कि भारत पूर्वी पाकिस्तान में हस्तक्षेप भी कर सकता है। उस वक्त पाकिस्तानी सेना के जनरलों को ये गलतफहमी थी कि वो गै-लड़ाकू बंगालियों एक गोली से झुका देंगे। लेकिन इतिहास ने पाकिस्तानी सेना को गलत सिद्ध कर दिया। इस लड़ाई ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया। उसको काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी।

 

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