ये है दुनिया का पहला ऐसा बच्चा, जिसे 3 लोगों ने दिया जन्म!

Wednesday, Sep 28, 2016 - 04:33 PM (IST)

मियामीः दुनिया की अभी तक की सबसे हैरान करने वाली घटना सामने आई है। मैक्सिको में दुनिया के ऐसे पहले बच्चे ने जन्म लिया है, जिसके तीन पैरेंट्स हैं। बायलॉजिकली दो मां और एक पिता। अमरीकी वैज्ञानिकों ने पहली बार 3 लोगों की एक संतान के लिए नई तकनीक का प्रयोग करते हुए यह कारनामा किया है। वैज्ञानिकों द्वारा इस नई तकनीक से भ्रूण में 3 लोगों के डीएनए को एक साथ शामिल किया और फिर बच्चे को जन्म दिया। यह आश्चर्यचकित कारनामा दुनियाभर में सुर्खियों में है। 

एक कपल पर किया इस्तेमाल
न्यू साइंटिस्ट मैग्जीन में मंगलवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। इस टेक्नीक का इस्तेमाल अमरीका के वैज्ञानिकों ने जॉर्डन के एक कपल पर किया है। महिला की पहचान उजागर ना करते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि महिला के जीन में ली सिंड्रोम डिसऑर्डर था, जो मां से बच्चे में ट्रांसफर होता है। इससे बच्चे की दो-तीन साल में मौत हो जाती है। महिला व उसका पति चाहते थे कि उन्हें एक बच्चा हो। जो जेनेटिकली उनका हो, लेकिन उसमें यह बीमारी ट्रांसफर न हो। 

कानून नहीं देता इजाजत
चूंकि अमरीका में तीन पैरेंट्स से बच्चे को जन्म देने वाली टेक्नीक के लिए कानून नहीं है। इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। प्रो न्यूक्लियर ट्रांसफर नाम की एक टेक्नीक है, जिसे ब्रिटेन में कानूनी मान्यता है। इसमें दो एम्ब्रायो को तोड़ा जाता है। लेकिन मुस्लिम होने की वजह से कपल ने इस टेक्नीक को मंजूर नहीं किया।फिर अमरीकी वैज्ञानिकों ने यह नया एक्सपेरिमेंट किया।

ऐसे किया गया एक्सपेरिमेंट
वैज्ञानकों ने पहली स्टेप में खराब माइटोकॉन्ड्रिया वाले मां के एक (अंडाणु) से न्यूक्लियस (केंद्रक) को निकालकर प्रिजर्ब कर लिया। दूसरी स्टेप में उन्होंने डोनर मां की सेहतमंद माइटोकॉन्ड्रिया वाली सेल के न्यूकलियस को हटा दिया। तीसरी स्टेप में डोनर मां के एग में असली मां के न्यूकलियस को डाल दिया। इस तरह तैयार हुए नए एग को पिता के स्पर्म से फर्टिलाइज किया गया, जिससे बच्चे का जन्म हुआ।

रोकी जा सकती हैं जेनेटिक बीमारी
एक्सपर्ट्स इसे हेल्थ सेक्टर में एक नए युग का आगाज मान रहे हैं। उनका मानना है कि इससे जेनेटिक बीमारियों को बच्चों में जाने से रोका जा सकता है। तीन लोगों के डीएनए से बच्चे पैदा करने की शुरुआत 1990 के दशक में हो गई थी। लेकिन इस बार जिस टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है वह पूरी तरह अलग है। हालांकि, एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन की इस टेक्नीक की कानूनी रूप से कड़ी जांच की जरूरत है। इसमें यह भी सोचा जा रहा है कि बच्चा बड़ा होकर अपने तीन पैरेंट्स होने की बात को किस तरह से लेगा।

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