सिक्किम गतिरोध बढ़ाने का प्रयास कर रहा है अमेरिका: चीन

Wednesday, Jul 26, 2017 - 10:05 PM (IST)

बीजिंग: चीन के एक दैनिक समाचारपत्र ने आज अमेरिका और अन्य देशों पर आरोप लगाया कि वे दक्षिण चीन सागर चाल दोहराने और रणनीतिक लाभ हासिल करने के लिए चीन-भारत गतिरोध को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइस में प्रकाशित एक लेख में सीधे तौर पर अमेरिका और आस्ट्रेलिया का उल्लेख करते हुए लिखा गया है, चीन और भारत के बीच गतिरोध के पांच सप्ताह से अधिक समय हो चुका है, सीधे तौर पर लिप्त दो के अलावा कुछ अन्य हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहे हैं।

इंस्टीगेटिंग सिनो...इंडिया कंफ्रंटेशन वोंट बेनेफिट यूएस शीर्षक वाले इस लेख में अमेरिकी मीडिया में उन टिप्पणियों का उल्लेख किया गया है जिसमें अमेरिका का आह्वान किया गया था कि वह चीन को रोकने और मुकाबला करने और पूरे विश्व को चीन के खिलाफ एकजुट करने के लिए भारत को सहयोग मुहैया कराए।

इसमें आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जुलिया बिशप के उस आह्वान पर भी आपत्ति जताई गई है जिसमें डोकलाम मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात कही गई थी। लेख में कहा गया है, बिशप का इरादा गतिरोध की प्रकृति को अस्पष्ट करना और भारत के लिए छद्म समर्थन दिखाना है। लेख में कहा गया है अभी तक डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका-भारत संबंधों पर बहुत थोड़ा ध्यान दिया है, व्यापार एवं आव्रजन जैसे मुद्दों पर उनकी असहमति बनी हुई है।

लेख में लिखा गया है, अमेरिकी सोच सकते हैं कि वे अपनी दक्षिण चीन सागर चाल को दोहरा सकते हैं। लेकिन अमेरिका को समुद्री विवादों से क्या मिला? इसी तरह से अमेरिका को चीन-भारत टकराव से कोई लाभ नहीं मिलेगा। चीन अमेरिका के हस्तक्षेप के चलते अपने क्षेत्र की रक्षा करना नहीं छोड़ सकता। लेख में कहा गया है कि अमेरिका हर उस जगह दिखाई पड़ता है जहां संघर्ष उभरते हैं लेकिन वह शायद ही कभी समस्याओं को सुलझाने के लिए निष्पक्ष रुख अपनाता है।

इसमें लिखा है, पश्चिम में कुछ ताकतें हैं जो चीन और भारत के बीच एक सैन्य संघर्ष को भड़का रही हैं जिससे वे बिना अपने किसी खर्च के रणनीतिक लाभ हासिल कर सकें। अमेरिका ने यह रणनीति दक्षिण चीन सागर विवादों में अपनाई। इसमें कहा गया है, यह गौर करना जरूरी है कि करीब आधा सदी पहले चीन और भारत के बीच हुए सीमा युद्ध में अमेरिका और सोवियत संघ के अदृश्य हाथ थे। लेख में लिखा गया है कि न तो चीन और न ही भारत कोई युद्ध चाहता है। 

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