दो महाशक्तियों की मुलाकात पर होगी दुनिया की नजरें

Friday, Mar 31, 2017 - 11:04 AM (IST)

वॉशिंगटन: दुनिया की दो महाशक्तियां अमरीका और चीन जल्द ही मिलने वाले हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप अगले हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिलने वाले हैं। व्हाइट हाऊस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ट्रंप अगले गुरुवार और शुक्रवार को चिनफिंग की फ्लोरिडा के मार-आ-लागो रिट्रीट में मेजबानी करेंगे। इस साल 20 जनवरी को ट्रंप के अमरीकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच यह पहली मुलाकात होगी। 


शी के साथ होने वाली वार्ता रहेगी ‘बेहद मुश्किल’
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगले सप्ताह उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग के साथ होने जा रहा उच्च स्तरीय सम्मेलन ‘बेहद मुश्किल’ रहेगा क्योंकि अमरीका अब इतना भारी व्यापार घाटा और नौकरियों का नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकता।  


अमरीका और चीन के बीच इन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना
ट्रंप ने ट्वीट किया कि चूंकि चीन के साथ व्यापार में अमरीका को भारी व्यापार घाटा होता है, एेसे में अमरीकी कंपनियों को अन्य विकल्पों को तलाशने के लिए तैयार रहना चाहिए। ट्रंप ने कहा, ‘‘अगले सप्ताह चीन के साथ होने वाली बैठक बहुत मुश्किल रहेगी क्योंकि अब हम इतने भारी व्यापार घाटे और नौकरियों का नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकते।’’दोनों के बीच साउथ चाइना सी विवाद, ताइवान और ट्रेड जैसे गंभीर एवं विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। व्यापारिक असंतुलन, चीनी की रणनीतिक महत्वाकांक्षा और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम जैसे गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।  


इससे पहले व्हाइट हाऊस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने संवाददाताओं को बताया था कि ट्रंप शी से मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं। वह एक-दूसरे की प्राथमिकताओं पर विचार साझा करने और द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने का रास्ता तैयार करने के लिए उत्सुक हैं।उन्होंने कहा, ‘‘वे उत्तर कोरिया, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा समेत आपसी हितों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।’’ हालांकि, चीनी राष्ट्रपति के दौरे पर भारत की भी नजर होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दिन बाद पीएम नरेंद्र मोदी भी अमरीका की यात्रा पर जाने वाले हैं। दो धुर प्रतिद्वंद्वी देशों की मेजबानी के दौरान अमरीकी कूटनीति से इस बारे में संकेत मिलेगा कि ट्रंप प्रशासन का निकट भविष्य में एशिया को लेकर क्या रुख रहने वाला है। 

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