रूस से S-400 डील रोकने के लिए भारत को बड़ी ऑफर की तैयारी में US

Wednesday, Jun 27, 2018 - 11:26 AM (IST)

वॉशिंगटनः अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत द्वारा रूस से S-400  की डील करना रास नहीं आ रहा इसलिए इस, डील को  रोकने के लिए अमरीका भारत को अपने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस ऑप्शंस चुनने के लिए राजी करने का प्रयास कर रहा है।  जानकारी के अनुसार अमरीकी सरकार बलस्टिक मिसाइल सिस्टम को 6 जुलाई को तय द्विपक्षीय 2+2 वार्ता का अजेंडा बना सकती है। इस वार्ता के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अमरीका जाएंगी। 

वॉशिंगटन में होने वाली 2+2 वार्ता में इंडिया को टर्मिनल हाई अल्टिट्यूड एयर डिफेंस (THAAD) सिस्टम ऑफर किया जा सकता है। यह अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम खासतौर पर लॉन्ग रेंज मिसाइल से निपटने में खासा कारगर माना जाता है। हालांकि एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खासतौर पर एफ18 और एफ 35 जैसे लड़ाकू विमानों सहित कई हवाई हमलों से भी निपटने में सक्षम बताया जाता है। यूं तो रूस में बनने वाले एस-400 के लेटेस्ट वर्जन की रेंज ज्यादा है, लेकिन क्या यह इंटरमीडियट रेंज और इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल सिस्टम्स के खिलाफ THAAD से बेहतर है, इस बारे में अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

ईटी को यह भी पता चला है कि रूस से एस-400 खरीदने के भारत सरकार के प्रस्ताव से ट्रंप प्रशासन में खलबली मच गई है। वह इस बात का जायजा लेने में जुट गया है कि अगर THAAD ऑफर में तेजी दिखाई गई होती तो क्या भारत रूस के साथ लगभग 39,000 करोड़ की डील करने की योजना को अमल में लाना शुरू कर देता। अब भारत की एस-400 डील अमरीका के लिए संवेदनशील मुद्दा हो गया है। अमरीकी संसद में रूसी डिफेंस एंटिटीज के खिलाफ पाबंदी लगाने वाले एक विधेयक पर चर्चा हो रही है।

इसके दायरे में रूसी डिफेंस एंटिटीज के बायर्स भी आ जाएंगे। रूस के साथ भारत की मजबूत सामरिक साझेदारी को देखते हुए ट्रंप प्रशासन सेक्रटरी ऑफ डिफेंस जेम्स मैटिस के जरिए भारत जैसे देशों को इस शर्त पर इससे रियायत देने पर जोर दिया है कि वे रूस पर अपनी सैन्य संबंधी निर्भरता धीरे-धीरे घटाएंगे। जबरदस्त लॉबिंग के बावजूद इस मोर्चे पर अमरीकी संसद से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।

भारत सरकार की दलील है कि रूस के साथ एस-400 डील पर काम अमेरिका में CAATSA पर चर्चा होने से पहले ही शुरू हो चुका था। किसी भी सूरत में CAATSA जब भी लागू होगा, यह डील उससे पहले हुई मानी जाएगी।   सूत्रों ने बताया कि अमरीकी अथॉरिटीज के लिए यह उम्मीद करना सही नहीं होगा कि भारत सरकार रूस से अपने रक्षा संबंध तोड़ लेगा, जो कई के बावजूद विवादों के बावजूद भरोसेमंद साझेदार साबित हुआ है। 
 

Tanuja

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