H-1B वीजा महंगा करने के बाद ‘ट्रंप गोल्ड कार्ड’ किस बला का नाम है, क्या है इसकी फीस और फायदे?

punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 05:51 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए सालाना आवेदन शुल्क को 1 लाख डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) कर दिया। यह कदम खासकर भारतीय आईटी पेशेवरों को प्रभावित करेगा, जो अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनियों जैसे अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा में काम करते हैं। व्हाइट हाउस में दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, "यह कदम अमेरिकी नागरिकों को नौकरियां सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।" बाद में प्रशासन ने स्पष्ट किया कि इससे अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ेगी और कंपनियां केवल 'बहुत खास और प्रतिभाशाली' विदेशी विशेषज्ञों को ही नियुक्त कर सकेंगी।

अमेरिका हर साल लॉटरी सिस्टम के जरिए लगभग 85,000 H-1B वीजा जारी करता है, जिनमें से करीब तीन-चौथाई (71 प्रतिशत) भारतीयों को प्राप्त होते हैं। 2025 की पहली छमाही में ही अमेजन को 12,000 से अधिक H-1B वीजा स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा को 5,000 से ज्यादा। इस नई फीस से टेक कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही विदेशी प्रतिभाओं पर निर्भर हैं।

क्या है 'गोल्ड कार्ड' 
ट्रंप ने एक नया वीजा सिस्टम 'ट्रंप गोल्ड कार्ड' भी लॉन्च किया है, जो उन विदेशी निवेशकों, बिजनेसमैन और उद्यमियों के लिए है जो अमेरिका में रहना और काम करना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा, "इस गोल्ड कार्ड से अरबों डॉलर की आय होगी और कंपनियां अपने आवश्यक विशेषज्ञों को आसानी से रख सकेंगी।" व्हाइट हाउस के अनुसार, यह कार्ड भविष्य में ग्रीन कार्ड की जगह ले सकता है, जो विदेशियों को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता है।

गोल्ड कार्ड कैसे प्राप्त करें?
आवेदन के लिए एक गैर-वापसी योग्य (नॉन-रिफंडेबल) फीस देनी होगी। स्वीकृति मिलने पर 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.3 करोड़ रुपये) जमा करने पड़ेंगे। इस कार्ड से धारक अमेरिका के सभी 50 राज्यों में स्वतंत्र रूप से घूम-फिर और रह सकेंगे।

ट्रंप प्लेटिनम कार्ड
ट्रंप प्रशासन ने 'ट्रंप प्लेटिनम कार्ड' की भी घोषणा की है, जो बिजनेसमैन, निवेशकों और उद्यमियों के लिए ही होगा, लेकिन इसमें अतिरिक्त लाभ मिलेंगे। इसका रजिस्ट्रेशन अभी शुरू नहीं हुआ है और जब शुरू होगा, तो 'फर्स्ट कम-फर्स्ट सर्व' (पहले आओ-पहले पाओ) के आधार पर आवंटन होगा। स्वीकृति पर 5 मिलियन डॉलर (करीब 41.5 करोड़ रुपये) जमा करने होंगे। इस कार्ड से धारक अमेरिका में सालाना 270 दिनों तक रह सकेंगे और इस दौरान अमेरिकी आयकर से छूट मिलेगी। हालांकि, कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत होगी।

ट्रंप कॉरपोरेट गोल्ड कार्ड
कंपनियों के लिए 'ट्रंप कॉरपोरेट गोल्ड कार्ड' शुरू किया गया है, जो विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने में मदद करेगा। इसकी फीस प्रति कर्मचारी 2 मिलियन डॉलर (करीब 16.6 करोड़ रुपये) होगी। कंपनी को प्रत्येक कर्मचारी के लिए नॉन-रिफंडेबल फीस चुकानी होगी, साथ ही एक छोटी सालाना मेंटेनेंस फीस और ट्रांसफर फीस भी लागू होगी।


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Content Editor

Shubham Anand

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