अंतिम संस्कार के अनोखे तरीके कर देंगे रोंगटे खड़े

Saturday, Jun 15, 2019 - 12:44 PM (IST)

इंटरनेशनल डैस्कः मौत के बाद हर धर्म में शरीर का अंतिम संस्कार करने की परम्परा होती है। लगभग सभी धर्म और संप्रदाय में इसकी विधि अलग- अलग है। मुख्यत: पूरी दुनिया में मौत के बाद शरीर को खत्म करने के दो मुख्य तरीके हैं। पहला दफन करना दूसरा दाह संस्कार करना। लेकिन इसके अलावा अंतिम स्सकार के जो तरीके अपनाए जाते हैं उनके बारे में जानकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। ममी बनाकर रखना, उबालकर कंकाल बनाना, गुफा में रखना, जल दाग देना, पशु-पक्षियों के लिए रख छोड़ना और शवों को खा जाने की भी परंपराएं हैं। जानते हैं दुनिया के अलग-अलग धर्मों और समुदायों में अंतिम संस्कार के लिए अपनाए जाने वाले विचित्र तरीकों के बारे में ।

शव खाने की परंपरा
 सबसे विचित्र अंतिम संस्कार की परंपरा न्यू गिनी और ब्राजील के कुछ क्षेत्रों में है। इसके अलावा कुछ कुपोषित राष्ट्रों और जंगली क्षेत्रों में भी ये रिवाज है। इस रिवाज के अनुसार मृतक शरीर को खाया जाता है। इन क्षेत्रों में शव का दूसरी तरह से खात्मा करने की बजाए उन्हें खा लिया जाता है, क्योंकि इन लोगों को खाद्य सामग्री मुश्किल से मिलती है, हालांकि आजकल ये अमानवीय तरीका बहुत कम क्षेत्रों में रह गया है।

घर में ही दफन करना
दक्षिणी मैक्सिको के मायन में अधिकतर वर्गों में मृत व्यक्ति को घर में ही दफन करने की परंपरा है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि इस तरह से उनका प्रिय उनके करीब ही रहता है। हालांकि इसकी एक वजह गरीबी भी बताई जाती है। चूंकि उनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वो मृतक का अंतिम संस्कार कर सकें, इसलिए वो घर में ही गड्ढा खोदकर मृतक को दफना देते हैं।

हवा में लहराना
वियतनाम में कई जगहों पर यह परंपरा है कि इंसान की मौत के बाद उसका बड़ा बेटा या बेटी उसके सारे कपड़े उतारता है और उन्हें हवा में लहराता है। इसके बाद मृतक की आत्मा को पुकारा जाता है, ताकि वो फिर से मृतक के शरीर में प्रवेश कर सके।

मृतक को जीवित मानना
इंडोनेशिया के बाली में मृतक को जीवित की तरह माना जाता है। कहा जाता है कि वह अभी सो रहा है। यहां इंसान की मौत पर आंसू बहाने की भी मनाही है।

शवों को हवा में लटकाना
चीन और फिलीपींस में कई जगहों पर इंसान की मौत के बाद उनके शवों को ताबूत में रखकर ऊंचे चट्टानों पर लटका दिया जाता है। चीनी राजवंशों में शवों को ताबूत में रखकर ऊंची चट्टानों पर लटकाने की परंपरा थी। वे मानते थे कि इस तरह से ताबूत को लटकाने से मृत व्यक्ति स्वर्ग के करीब पहुंच जाता है और उनकी आत्माएं स्वतंत्रता से चट्टानों के चारों तरफ घूम सकती हैं।

गला घोंटने की परंपरा
 फिजी के दक्षिण प्रशांत द्वीप पर प्राचीन भारत की सती प्रथा से मिलती-जुलती एक परंपरा है। यदि इस क्षेत्र के हिसाब से पारंपरिक अंतिम संस्कार किया जाए तो मरने वाले को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता है। उसके साथ किसी एक प्रिय व्यक्ति को भी मरना पड़ता है और वहां इसके लिए गला घोटे जाने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से मरने वाले को तकलीफ नहीं होती है।

शव के छोटे छोटे टुकड़े व हड्डियों को चूरा करना
पूरी दुनिया में व्रजयान बौद्ध संप्रदाय के लोग बहुत अनोखे तरीके से अंतिम संस्कार करते हैं। इस क्रिया में पहले शव को शमशान ले जाते है। यह एक ऊंचाई वाले इलाके में होता है। वहां पर लामा ( बौद्ध भिक्षु ) धूप बत्ती जलाकर उस शव कि पूजा करता है। फिर एक शमशान का कर्मचारी उस शव के छोटे छोटे टुकड़े करता है। दूसरा कर्मचारी उन टुकड़ों को जौ के आटे के घोल में डुबोता है। फिर वो टुकड़े गिद्धों को खाने के लिए डाल दिए जाते है। जब गिद्ध सारा मांस खाकर चले जाते हैं उसके बाद हड्डियों को इकठ्ठा करके उनका चुरा किया जाता है और उनको ही जौ के आटे और याक के दूध से बने मक्खन के घोल में डुबो कर कौओ और बाज को खिला दिया जाता है।

ममी बनाने का परंपरा
मिस्र के गिरजा पिरामिडों में ममी बनाकर रखे गए शवों के कारण फराओ के साम्राज्य को दुनियाभर में आज भी एक रहस्य माना जाता है। यहां मिले शव लगभग 3500 साल पुराने माने जाते हैं। कहा जाता है कि मिस्त्र में यह सोच कर शवों को ममी बनाकर दफना दिया जाता था, कि एक न एक दिन वे फिर जिंदा हो जाएंगे। ऐसा सिर्फ मिस्र में ही नहीं बल्कि भारत, श्रीलंका, चीन, तिब्बत और थाइलैंड में भी किया जाता रहा है। चीन और तिब्बत में आज भी कई हजार वर्ष पुरानी प्राचीन ममियां मौजूद है।

Tanuja

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