Covid-19 पर संयुक्त राष्ट्र ने तोड़ी चुप्पी, कहा- मौके का फायदा उठा सकते हैं जैव आतंकी

Friday, Apr 10, 2020 - 06:54 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि कोविड- 19 महामारी ने इस बात का ‘संकेत' दिया है कि विश्व में जैव-आतंकवादी हमले का परिणाम क्या हो सकता है। उन्होंने सचेत किया कि राज्येतर समूह उन ‘खतरनाक वायरसों' तक पहुंच सकते हैं, जो विश्वभर में इसी प्रकार की तबाही मचा सकते हैं। महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए इस वैश्विक महामारी के कारण दुनिया में पैदा हुए खतरों का जिक्र किया। परिषद ने डोमिनिकन गणराज्य की अध्यक्षता में गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस संकट पर पहली बार विचार-विमर्श किया। 

गुतारेस ने कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष को ‘एक पीढ़ी की लड़ाई' और इस तरह की समस्या से निपटने को ‘संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य' करार दिया। गुतारेस ने कहा, ‘कोविड-19 पहला और सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट है, लेकिन इसके प्रभाव बहुत दूरगामी हैं। यह महामारी अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए बड़ा खतरा है। इससे सामाजिक अशांति एवं हिंसा बढ़ने की आशंका है जिससे इस बीमारी से लड़ने की हमारी क्षमता कमजोर होगी।' 

उन्होंने कहा,‘इस महामारी के कारण सामने आई कमजोरियां और तैयारी का अभाव इस बात का संकेत देता है कि एक जैव-आतंकवादी हमले के क्या परिणाम हो सकते हैं। राज्येतर समूह उन खतरनाक वायरस तक पहुंच हासिल कर सकते हैं जो विश्वभर में समाज को इसी तरह तबाह कर सकते है।' गुतारेस ने इस बात पर चिंता जताई कि आतंकवाद का खतरा अब भी मौजूद है। उन्होंने कहा,‘जब अधिकतर सरकारों का ध्यान इस महामारी से निपटने पर केंद्रित है, ऐसे में आतंकवादी समूहों को मौका दिख सकता है।' गुतारेस ने कहा कि संघर्ष की कुछ स्थितियों में, इस महामारी से पैदा हुई अनिश्चितता विभाजन एवं अशांति पैदा करने वाले तत्वों को बढ़ावा दे सकती है। उन्होंने कहा कि इससे हिंसा बढ़ेगी और इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयास करने मुश्किल हो जाएंगे। 

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि इस संकट ने अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय संघर्षों के समाधान के प्रयासों को उस समय बाधित किया है जब इनकी सर्वाधिक आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि इस महामारी से एक अन्य बड़ा खतरा यह पैदा हुआ है कि यह मानवाधिकार संबंधी चुनौतियों को पैदा कर रही है और उन्हें बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि शरणार्थी एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्थापित लोगों को सर्वाधिक खतरा है। गुतारेस ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के कई विनाशकारी सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव पड़े हैं और विश्वभर की सरकारें बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक गिरावट से निपटने के प्रभावशाली तरीके खोजने के लिए संघर्ष कर रही हैं। दुनिया भर में 16 लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और 95,000 से अधिक लोगों की इस संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है।

shukdev

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