यूक्रेन पर हमले का 8वां दिन: रूसी सेना की बमबारी, हर ओर मौत का खौफ और तबाही के मंजर (Photos)

Thursday, Mar 03, 2022 - 02:15 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः  यूक्रेन और रूस के युद्ध कारण बिगड़े हालात का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।  दिन-ब-दिन बिगड़ते  कारण जंग की शुरुआत से अब तक भारी जान-माल का नुकसान हो चुका है। रूसी सेना के यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले जारी हैं। यूक्रेन में हालात बहुत बदतर हो गए हैं। रूस के हमले का गुरुवार को आठवां दिन है। 10 से ज्यादा शहर बर्बाद हो चुके हैं। कई इलाके खंडहर जैसे लगने लगे हैं। सड़के बमबारी की दहशत से सूनी हो गई हैं।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, 10 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़ चुके हैं। जो बचे हैं वे हताश और निराश हैं। पूछ रहे हैं आगे क्या होगा? रोजगार, परिवार, संपत्ति जैसे सबकुछ बिखर गया है। चहुं ओर डर, खौफ, मौत और तबाही नजर आ रही है। रूसी सेना ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर में बमबारी फिर शुरू कर दी है और इससे देश की राजधानी पर खतरा बढ़ गया है। रूस ने उसके प्रमुख रणनीतिक बंदरगाहों को भी घेर लिया है। रूस का कहना है कि पिछले सप्ताह शुरू हुई सैन्य कार्रवाई में अभी तक करीब उसके 500 सैनिक मारे गए हैं और लगभग 1,600 जवान घायल हुए हैं।

वहीं, यूक्रेन ने उसकी सेना के हताहत सैनिकों की जानकारी साझा नहीं की। बहरहाल, यूक्रेन ने कहा कि दो हजार से अधिक असैन्य नागरिक मारे गए हैं। दोनों ही देशों के दावों की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है। यूक्रेन और रूस के राजदूत बृहस्पतिवार को दूसरी बार बेलारूस में मुलाकात करेंगे, ताकि युद्ध को रोकने का कोई उचित समाधान खोजा जा सके। हालांकि, दोनों के बीच सहमति बनने की संभावना कम ही नजर आ रही है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सात दिन से जारी रूसी आक्रमण में 8,70,000 से अधिक लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं, जिससे यूरोपीय महाद्वीप में शरणार्थी संकट बढ़ गया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी एजेंसी के प्रमुख ने आगाह किया कि लड़ाई यूक्रेन के 15 परमाणु रिएक्टर के लिए खतरा बन गई है।

 
 रूस पर लगे प्रतिबंधों की आंच की चपेट में आम आदमी
 यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की आंच आम आदमी महसूस करने लगा है। देश में भुगतान तंत्र (पेमेंट सिस्टम) अब काम नहीं कर रहा है और नगदी निकासी को लेकर भी लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी तेत्याना उस्मानोवा ने ‘एसोसिएटेड प्रेस'(एपी) से कहा,‘‘ एप्पल पे कल से काम नहीं कर रहा है। अब इससे बस में ,कैफे में,कहीं भुगतान नहीं हो पा रहा है।'' उन्होंने कहा,‘‘ इसके अलावा एक सुपरमार्केट ने भी प्रति व्यक्ति समान खरीद की मात्रा सीमित कर दी है।''

एप्पल ने घोषणा की है कि वह रूस में अपने आईफोन और अन्य उत्पाद बेचना बंद कर रहा है साथ ही एप्पल पे जैसी सुविधाओं को भी सीमित करेगा। बड़ी संख्या में विदेशी और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने रूस में अपने कारोबार को बंद कर दिया है।कई लोगों ने बताया कि इन कदमों से उनकी दैनिक जिंदगी पर काफी असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि देश की मुद्रा रूबल को विदेशी मुद्रा में बदलने में मुश्किलें आ रही हैं, एटीएम के बाहर लंबी लाइनें हैं और कई बैंक के कार्ड को एटीएम नहीं स्वीकार कर रहे हैं अर्थात उनसे निकासी की सुविधा बंद है।

कुछ लोगों ने बताया कि खाने पीने के सामान के दाम भी बढ़ने लगे हैं। विपक्ष की नेता यूलिया गालयेमिना ने बुधवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा,‘‘ दाम बढ़ने की समस्या का सामना कर रहे हैं, पेंशन रूकी हुई हैं....।''उन्होंने लिखा,‘‘ दवाइयों और चिकित्सीय साजो सामान की कमी हो रही है। हम 1990 को अब कम खराब वक्त के तौर पर याद करेंगे। लेकिन मेरा प्रश्न है कि ‘‘किस लिए''? गौरतलब है कि देश में बड़ी संख्या में लोग युद्ध के खिलाफ हैं और इसे रोकने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। मानवाधिकार समूह ‘ओवीडी-इन्फो' के अनुसार बीते कुछ वक्त में सात हजार से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।

 

Tanuja

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