ट्रंप ने कनाडा पर टैरिफ 10% और बढ़ाया, विज्ञापन को लेकर भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति
punjabkesari.in Sunday, Oct 26, 2025 - 06:11 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कनाडा से आने वाले सामान पर 10% अतिरिक्त टैरिफ (आयात कर) बढ़ाने का ऐलान किया है। यह फैसला उन्होंने उस टीवी विज्ञापन को लेकर लिया, जिसे कनाडा के ओंटारियो प्रांत ने चलाया था। इस विज्ञापन में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का एक पुराना भाषण दिखाया गया था, जिसमें रीगन ने कहा था कि “टैरिफ से व्यापार युद्ध और आर्थिक संकट पैदा होते हैं।” ट्रंप ने इस विज्ञापन को “झूठा और शत्रुतापूर्ण कदम” बताया और कहा कि ओंटारियो सरकार ने जानबूझकर इसे वर्ल्ड सीरीज के पहले मैच के दौरान प्रसारित किया, जबकि पहले वादा किया गया था कि इसे हटा दिया जाएगा।
क्या है पूरा विवाद
ओंटारियो की सरकार ने हाल ही में एक एंटी-टैरिफ विज्ञापन अभियान शुरू किया था, जिसमें अमेरिका की मौजूदा टैरिफ नीति की आलोचना की गई थी। विज्ञापन में रिपब्लिकन नेता रोनाल्ड रीगन का वीडियो इस्तेमाल किया गया था। यही बात ट्रंप को नागवार गुज़री।ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट किया: “उनका विज्ञापन झूठा और भ्रामक था। इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने इसे वर्ल्ड सीरीज के दौरान भी चलाया। इसलिए, मैं कनाडा पर मौजूदा दरों से 10% अधिक टैरिफ लगा रहा हूं।” यह बयान उन्होंने एयरफोर्स वन विमान से मलेशिया यात्रा के दौरान दिया।
कनाडा की प्रतिक्रिया
ओंटारियो के प्रीमियर डग फोर्ड ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से इस मुद्दे पर बात करेंगे और सोमवार तक विज्ञापन अभियान को रोक दिया जाएगा। कनाडाई सरकार ने कहा है कि वे अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं।
वर्तमान टैरिफ दरें और असर
अमेरिका ने पहले से ही कनाडाई सामान पर 35% टैरिफ लगा रखा है।
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इसके अलावा, कुछ सेक्टरों पर अलग से भारी टैक्स लागू हैं:
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धातु (स्टील, एल्युमिनियम) पर: 50%
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ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर: 25%
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हालांकि, कई उत्पाद USMCA (यूएस-मेक्सिको-कनाडा समझौते) के तहत छूट में आते हैं, इसलिए इन पर प्रभाव सीमित रह सकता है।
संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिका-कनाडा व्यापारिक रिश्ते और तनावपूर्ण हो सकते हैं। कनाडा, अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। कनाडाई कंपनियों को अब अमेरिकी बाजार में सामान बेचने में ज्यादा लागत और प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
