तिब्बतियों ने चीनी अत्याचारों के खिलाफ दुनिया भर में किए विरोध प्रदर्शन

Saturday, Mar 12, 2022 - 02:56 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः तिब्बत पर चीनी ‘आक्रमण’ और भारत की सीमा में उसकी ‘घुसपैठ’ के खिलाफ दुनिया भर में  चीन के  खिलाफ तिब्बतियों  ने विरोध प्रदर्शन किए। आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इटली, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, अमेरिका व कनाडा सहित कई देशों में तिब्बती प्रवासियों ने तिब्बतियों, उइगर और हांगकांग सहित धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचारों को लेकर चीन के खिलाफ विरोध किया है। 

 

तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस की 63 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए तिब्बती समुदाय के सैकड़ों लोग ऑस्ट्रेलिया की राजधानी शहर के सिटी सेंटर में एकत्र हुए। 150 से अधिक तिब्बतियों और तिब्बत समर्थकों ने कैनबरा में विरोध रैली में भाग लिया। दलाई लामा के प्रतिनिधि कर्मा सिंगे ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की दमनकारी नीतियों को दोहराया। ACT तिब्बती समुदाय और ऑस्ट्रेलियाई तिब्बत समुदाय संघ के अध्यक्ष कलसांग त्सेरिंग ने तिब्बत के अंदर चीनी अधिकारियों द्वारा कड़े सुरक्षा उपायों और निगरानी के कारण एक दशक से अधिक समय तक अपने पिता को नहीं देख पाने के अपने व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बात की।


 इसी तरह तिब्बतियों द्वारा लंदन में विभिन्न स्थानों पर चीनी दूतावास सहित एक विरोध प्रदर्शन किया और चीन के तिब्बत पर अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाई । इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने  "तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है", "तिब्बती स्व तंत्रता मांगते हैं", "चीन ने हमारी जमीन चुराई है" के नारे वाली तख्तियां उठा रखी थीं। तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस को चिह्नित करने के लिए लंदन में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रदर्शनकारियों द्वारा टाउन हॉल, ग्रीनविच के वूलविच रॉयल बरो में एक ध्वजारोहण समारोह का आयोजन किया गया।

 

कोलकाता में सेंट्रल तिब्बत ऑर्गेनाइजेशन के हिस्से के तौर पर इंडो-तिब्बतन कोऑर्डिनेशन ऑफिस (आईटीसीओ) के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने तिब्बती और भारतीय झंडे लहराकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में दलाई लामा की तस्वीरें भी थीं। एक समय ऐसा था जब यहां पचास साल पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष माओ से-तुंग की प्रशंसा में दीवारों पर नारे लिखे होते थे। प्रदर्शन ऐसे समय पर हो रहे हैं जब ल्हासा में 1959 में चीनी हमले के खिलाफ तिब्बतियों के विरोध की वर्षगांठ भी है। गौरतलब है कि चीनी हमले के कारण दलाई लामा और उनके अनगिनत अनुयायियों को भागकर भारत में शरण लेना पड़ा था।

Tanuja

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