आंतकी संगठन 'TTP' की खुली धमकी- पाकिस्तान में संविधान नहीं शरिया कानून हो लागू

Thursday, Jul 28, 2022 - 11:29 AM (IST)

पेशावर: पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए अफगानिस्तान पहुंच गया है। TTP यानी देश के लोकल तालिबान ने खुली धमकी दी है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना शरिया कानून में बताए गए रास्ते पर नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान की सेना, न्यायपालिका और राजनेताओं ने शरिया कानून के बजाय संविधान को लागू किया है।   पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवियों का यह प्रतिनिधिमंडल शांति समझौते को लेकर टीटीपी के प्रतिनिधियों से बातचीत करेगा। प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान नेतृत्व से भी मिलने की उम्मीद है।

 

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने अफगानिस्तान के तालिबान नेताओं अनवारुल हक, मुख्तारुद दीन शाह करबोघा शरीफ, हनीफ झालंदरी, शेख इदरीस और मुफ्ती गुलाम उर रहमान से मुलाकात की। पाकिस्तानी सरकार और टीटीपी के बीच पिछले साल शुरू हुई शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए यह प्रतिनिधिमंडल अफगान सरकार के केंद्रीय नेतृत्व से भी मिलेगा। पाकिस्तान की सेना भी इस शांति वार्ता का समर्थन कर रही है।  हालांकि इन मौलवियों को  यहां निराशा हाथ लगी है। 13 मौलवियों की टीम ने TTP प्रमुख मुफ्ती नूर वली और अन्य तालिबानी नेताओं से मुलाकात की है।


 

इन मौलवियों ने टीटीपी से अनुरोध किया है कि जनजातीय क्षेत्र फाटा को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से अलग करने की मांग को छोड़ दें। हालांकि TTP ने इनकी इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है। इस प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तानी सेना की ओर से देश की मांगों से अवगत कराया गया था। पाकिस्तान की सरकार चाहती है कि टीटीपी नेतृत्व सेना के खिलाफ हिंसा छोड़े, अपने संगठन को भंग करे और अपने क्षेत्र में लौट आए। पाकिस्तानी मौलवियों ने टीटीपी नेताओं के आगे इस्लाम और कुरान तक का हवाला दिया और कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ हिंसा करना धार्मिक रूप से सही नहीं है।

 

Tanuja

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