सत्ता को लेकर कई धड़ों में बंटे तालिबानी, एयरपोर्ट पर दो गुटों में चली गोलियां

Monday, Aug 30, 2021 - 11:57 AM (IST)

इंटरनैशनल डैस्क: भले ही अमरीकी सेना की वापसी के बाद तालिबानियों ने काबुल पर कब्जा कर लिया हो, लेकिन अब तालिबान के नेता सत्ता को लेकर आपस में उलझ गए हैं। न्यू यॉर्क पोस्ट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सत्ता पर काबिज होने को लेकर तालिबानी नेता धड़ों में बंटने लगे हैं। अपनी रिपोर्ट में होली मैके ने कहा कि खुफिया एजेंसियों के और सेन्य अधिकारियों ने तालिबानी गुटों के आपस में बंटने की पुष्टि की है। जहां एक ओर अफगानिस्तान पर अब बड़े इस्लामिक आतंकी संगठनों की नजर है वहीं तालिबानी नेताओं के धड़ों में बंटने से अफगानिस्तान के भविष्य पर तलवार लटकती नजर आ रही है। अमरीका के खुफिया सूत्र का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा है कि बीते शुक्रवार रात हवाई अड्डे की परिधि के करीब तालिबान गुटों के बीच आपस में गोलीबारी भी हुई थी।
 
 

एकता की कमी जारी हैं गुपचुप बैठकों का दौर
रिपोर्ट के मुताबिक काबुल में सरकार के एक पूर्व अधिकारी ने कहा है कि जमीन पर स्थिति खराब होती जा रही है। तालिबानियों के कई गुट सत्ता को लेकर लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं। एकता की कमी के कारण कई गुट गुपचुप बैठकें कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई जातियां और जनजातियां सत्ता की बागडोर संभालने के लिए उतारू हो गई हैं। काबुल की सुरक्षा हक्कानी नेटवर्क के हाथों में है, फिलहाल राजनीतिक और सैन्य मामलों को वही देख रहा है। खतरनाक आतंकी खलील हक्कानी को अफगानिस्तान में सुरक्षा का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार हक्कानी के वफादार अमेरिकी हथियारों से पूरी तरह लैस थे। वे हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अंदर ही सत्ता के हस्तांतरण को लेकर योजना तैयार कर रहे हैं। मैके ने कहा, तालिबान और हक्कानी के बीच नियंत्रण और शक्ति का संचालन करने वाले नेताओं में मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। तालिबान ने कई लोगों को अच्छे पदों पर नियुक्त करके उन्हें शांत करने की कोशिश की है।

 

सहमति नहीं बनी तो आतंकियों का बरपेगा कहर
कहा जा रहा  है कि कई गुटों के पास सत्ता चलाने को लेकर उभरती चुनौतियों से निपटने के बारे में विभिन्न विचार हैं, जिसमें आई.एस.आई.एस. के बढ़ते खतरे और पंजशीर में अहमद मसूद के नेतृत्व वाली ताकतों के प्रतिरोध का सामना करना शामिल है। यह प्रांत एकमात्र ऐसा प्रांत है जो तालिबान के नियंत्रण में नहीं आया है।पंजशीर घाटी में एक अनुमान के अनुसार 1.5 से 2 लाख लोग रहते हैं। यहां के अधिकांश लोग 'दारी' भाषा बोलते हैं. ताजिक मूल की यह भाषा अफगानिस्तान की मुख्य भाषाओं में से एक है। देश के 3.8 करोड़ की आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा ताजिकों का है। बहरहाल तालिबानियों की गुटबाजी अफगानिस्तान में एक बार आतंकियों के हमलों को दावत दे रही है। सत्ता को लेकर अगर तालिबानी नेताओं में सहमति नहीं बनी तो आई.एस.आई.एस.सक्रिय होकर अफगानिस्तान में धमाकों की बरसात करने लगेगा और अफगानी नागरिकों की सुरक्षा करना उसके लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगा।
 

vasudha

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