सुप्रीम कोर्ट ने दिया राष्ट्रपति सिरीसेना को झटका, संसद भंग करने को कहा ''असंवैधानिक''

Thursday, Dec 13, 2018 - 07:14 PM (IST)

कोलंबोः श्रीलंका के उच्चतम न्ययालय ने बृहस्पतिवार को दिये एक निर्णय में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा संसद को भंग करने के कदम को सर्वसम्मति से असंवैधानिक ठहराया।   अदालत का यह फैसला राष्ट्रपति के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। उनके विवादास्पद फैसलों के चलते देश अभूतपूर्व संवैधानिक संकट में फंस गया था।



सात सदस्यों वाली पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति संसद को तब तक भंग नहीं कर सकते जब तक संसद का साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता। मामले की संवेदनशीलता के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाया गया था और इलाके में विशिष्ट स्पेशल टॉस्क फोर्स को तैनात कर दिया गया था।



सिरिसेना ने 26 अक्ट्रबर को एक विवादित कदम उठाते हुये प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनके स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने संसद को भंग करके पांच जनवरी को अगला आम चुनाव करवाने का ऐलान भी कर दिया था। सिरिसेना ने यह कदम तब उठाया था जब उन्हें लगा कि 225 सदस्यों वाली संसद में राजपक्षे 113 सांसदों का समर्थन हासिल नहीं कर पायेंगे और विक्रमसिंघे का पक्ष मजबूत बना रहेगा।



बुधवार को विकमसिंघे ने संसद में 117 सांसदों का समर्थन हासिल करके विश्वास मत हासिल कर लिया था। सबसे बड़ी अदालत का फैसला आने के बाद सिरिसेना ने कहा कि उन्होंने देश और लोगों के सर्वश्रेष्ठ हित को ध्यान में रख कर ही निर्णय लिये हैं। उन्होंने कहा कि वह अदालत के इस फैसले का सम्मान करेंगे। उच्चतम न्यायालय में इस मामले में सुनवाई के लिए 13 याचिकाएं दायर की गयी थीं। संसद का कार्यकाल पूरा होने में करीब 20 महीनों का समय शेष है। यानी अगले आम चुनाव फरवरी 2020 से पहले नहीं हो सकेंगे।



उच्चतम न्यायालय ने गत 13 नवम्बर को एक अंतरिम आदेश जारी करके सिरिसेना की गजट अधिसूचना को अस्थाई तौर पर अवैध घोषित करके आम चुनाव की तैयारियों पर रोक लगा दी थी।

Yaspal

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