श्रीलंका में मुस्लिम महिला का शव जलाने के बाद कोरोना टेस्ट आया नेगेटिव, मच गया बवाल
Tuesday, May 12, 2020 - 03:10 PM (IST)
कोलंबोः श्रीलंका कोरोना वायरस संक्रमण की शिकार एक मुस्लिम महिला की मृत्यु के बाद बवाल मच गया। कोरोना वायरस पीड़ित घोषित इस महिला की मृत्यु के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बवाल तब मचा जब महला की मौत के 2 दिन बाद उसकी कोरोनो टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद मृतका के परिवार समेत आक्रोशित मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जुबैर फातिमा रनोसा के कोरोना पीड़ित होने का पता चला था. इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि उसके अंतिम संस्कार के दो दिन बाद आई कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट में पता चला कि वह कोरोना संक्रमित नहीं थीं। फातिमा रानोसा के चार बेटों में से एक मुहम्मद साजिद ने कहा कि उनकी मां के शव का अंतिम संस्कार इस्लामिक पद्धति से करने के बजाय उनके शव को 5 मई को जला दिया गया था और उनके भाई ने सरकार के आग्रह पर सहमति व्यक्त करते हुए एक फॉर्म पर हस्ताक्षर भी किए थे।
गौरतलब है कि श्रीलंका में कोरोना वायरस से अब तक कुल 9 लोग मारे गए हैं, जिनमें से 3 मुस्लिम हैं और इन सभी लोगों के शवों का इस्लामी मूल्यों और प्रथाओं के विपरीत अंतिम संस्कार किया गया है। बौद्ध-बहुल वाले देश श्रीलंका में शुरुआत में अधिकारियों ने मुसलमानों के शवों को दफनाने के लिए सहमति व्यक्त की थी, लेकिन 11 अप्रैल को कानून में संशोधन कर सभी धर्मों के लोगों के शवों को जलाने का फैसला लिया गया। श्रीलंकाई संसद के एक पूर्व मुस्लिम सदस्य अली जहीर मौलाना ने कहा कि मुस्लिम परिवारों को गहरा दुख हुआ था कि उन्होंने न केवल अपने प्रियजनों को, बल्कि अपने मूल इस्लामी अधिकारों को भी खो दिया था, जबकि अधिकारियों ने उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया।'
इस बीच श्रीलंका में मुस्लिम विद्वानों की सबसे बड़ी पार्टी ने इस मुद्दे पर सरकार से कहा कि सभी मुसलमान इस मामले में एकजुट हैं और हम सरकार से विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस से मरने वाले मुसलमानों के अंतिम संस्कार की अनुमति दी जाए, क्योंकि यह हमारी आस्था और धार्मिक विश्वास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दूसरी ओर श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबिया राजा पक्से के वकील अली साबरी ने कहा कि सरकार ने डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार दफनाने पर प्रतिबंध लगाया है। वहीं मानवाधिकार समूहों समेत एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी श्रीलंका में मुसलमानों के साथ किए जाने वाले व्यवहार के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कहा है कि श्रीलंका में मुसलमानों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है।