कोरोना महासंकट के बीच हुए द.कोरिया में चुनाव,सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी को मिली शानदार जीत

Thursday, Apr 16, 2020 - 03:42 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः कोरोना महामारी के बीच जहां दुनिया भर के देशों की सरकारों और राजनेताओं का भविष्य संकट में है वहीं दक्षिण कोरिया ने देश में चुनाव करवा कर विश्व को चकित कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को जनता ने दोबारा चुन लिया है। महामारी के बीच संपन्न हुए संसदीय चुनाव में दक्षिण कोरिया की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी ने शानदार जीत हासिल की है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन को जनता ने रिकार्ड बहुमत दिया है।

 

सत्ताधारी पार्टी पर जनता ने फिर जताया भरोसा
कोरोना से निपटने में दक्षिण कोरिया सरकार के प्रयास को जनता ने पूरे अंक दिए और पूर्ण बहुमत से दोबारा भरोसा जताया। लेफ्ट की तरफ झुकाव रखने वाली राष्ट्रपति मून जे इन के सत्ताधारी गठबंधन को 300 सीट वाली नेशनल एसेंबली में 180 सीटों पर जीत हासिल हुई है। डेमोक्रेटिक पार्टी को 163 और उसकी सहयोगी सैटेलाइट पार्टी को 17 सीटों पर जीत हासिल हुई। जबकि दक्षिण कोरिया के मुख्य विपक्षी दल युनाइटेड फ्यूचर पार्टी को 103 सीटें मिली।

1987 के बाद पहली बार मिला ऐसा जनादेश
1987 में दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र की शुरुआत के बाद ऐसा जनादेश पहली बार किसी पार्टी को मिला है। 1992 के आम चुनाव में हुए 71.9 प्रतिशत मतदान के बाद पहली बार देश में 66.2% वोटिंग हुई। संसदीय चुनाव के लिए बुधवार के दिन वोट डाले गए और लाखों लोग ने कोरोना के कहर के बीच घरों से निकल कर वोट डाला।

 

चुनाव में वोटर्स के लिए की गई थी खास तैयारियां
सरकार ने भी ऐसे संवेदनशील मौके पर हो रहे चुनाव में वोटर्स के लिए खास तैयारियां की। पोलिंग बूथ पर वोटर्स को मास्क, ग्लव्स और हैंड सैनिटाइज़र्स दिए गए। साथ ही वोट डालने से पहले सबका तापमान भी चेक किया गया. जिन लोगों का बढ़ा हुआ तापमान निकला उन्हें अलग बनाए गए पोलिंग बूथ में ले जाया गया और वोट डलवाया गया। वोटिंग के बाद उस बूथ को सैनिटाइज़ किया गया. वहीं इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा गया। एक मीटर के फासले पर खड़े होने के लिए गोल घेरा बनाया गया जिसका सभी ने पालन किया।

क्वारेंटाइन में रह रहे तकरीबन 13 हज़ार लोगों ने डाला वोट
वोटिंग का समय पूरा होने के बाद क्वारेंटाइन में रह रहे तकरीबन 13 हज़ार लोगों को भी वोट डालने का मौका मिला लेकिन सिर्फ उन लोगों को वोटिंग की इजाज़त मिली जिनके भीतर क्वारेंटाइन में रहने के बाद कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं दिए।

 

राजनीतिक जानकार खारिज़ कर दी थी मून की जीत
महामारी से पहले तक दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून की चुनाव में जीत की संभावना को राजनीतिक जानकार खारिज़ कर रहे थे। रोज़गार, भत्ता और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर मून सियासी मोर्च पर संघर्ष करते दिख रहे थे। साल 2019 में सुस्त आर्थिक रफ्तार की वजह से उनकी अप्रूवल रेटिंग 30 प्रतिशत तक गिर गई थी। लेकिन कोरोना महामारी से निपटने में मून ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उसने उनकी अप्रूवल रेटिंग को 41प्रतिशत से 57 प्रतिशत की उछाल मिली।

इन मुद्दों पर जीते राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मून ने कोरोना आपदा को दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करने के अवसर के रूप में लिया और देश की फार्मा कंपनियों को मजबूत किया। वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कोरोना से निपटने में मून की रणनीति और क्रियान्वयन की तारीफ हुई। दक्षिण कोरिया में अब तक 10600 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जबकि 229 लोगों की मौत हो चुकी है। खास बात ये है कि हज़ारों लोगों के संक्रमित होने के बावजूद लाखों लोगों ने चुनाव में भाग लिया और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा जताया।

Tanuja

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