इमरान के चीन प्रेम का PAK में बढ़ा विरोध, अमेरिकी समर्थक लॉबी खफा, बिलावल ने भी खोली जुबान

Saturday, Dec 18, 2021 - 04:27 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः लोकतांत्रिक देशों के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के अमेरिका के आमंत्रण को ठुकराने के इमरान खान सरकार के कदम को लेकर पाकिस्तान में विरोध हो रहा है। देश में जनमत के एक बड़े हिस्से की राय बनी है कि ये कदम उठा कर इमरान की PTI सरकार ने देश के दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचाया है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक पाकिस्तान में अमेरिका समर्थकों की एक बड़ी लॉबी है, जो इस कदम के कारण प्रधानमंत्री इमरान खान से  ज्यादा नाराज हो गई है।

 

देश में बन रहे इसी जनमत को भांपते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने छह दिन बाद इस मुद्दे पर अपनी जुबान खोली है। उन्होंने डेमोक्रेसी समिट में भाग न लेने के प्रधानमंत्री खान के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान इस स्थिति में नहीं है कि वह ऐसे महत्त्वपूर्ण मंच से खुद को वंचित कर ले। बिलावल ने कराची में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा- ‘अगर कोई सहयोगी देश वहां कुछ एतराज उठाता  तो भी हम उसकी बात सुनने के बाद अपनी बात कह सकते थे। लेकिन हमें यह मौका कतई नहीं छोड़ना चाहिए था।अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस शिखर सम्मेलन में 100 से अधिक देशों को आमंत्रित किया था।

 

उनमें पाकिस्तान भी था। बाइडेन ने दक्षिण एशिया से भारत, मालदीव और नेपाल के अलावा पाकिस्तान को आमंत्रित किया था। बाकी तीनों देशों ने सम्मेलन में भाग लिया लेकिन इमरान खान सरकार ने अपने चीनी प्रेम की खातिर अमेरिका का न्योता ठुकरा दिया। डेमोक्रेसी समिट में जो देश आमंत्रित नहीं किए गए थे, उनमें चीन और रूस भी शामिल थे। अमेरिका ताइवान को इस सम्मेलन के लिए न्योता दिया, जिससे चीन खफा हो गया था। बताया जाता है कि चीन के दबाव में ही पाकिस्तान सरकार ने अमेरिका का आमंत्रण ठुकराने का फैसला किया।

 

पर्यवेक्षकों का कहना है कि जब बिलावल भुट्टो अपनी पार्टी को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, उस समय उनका खुद को अमेरिका का दोस्त दिखाना एक कारगर रणनीति हो सकती है। हालांकि इसमें जोखिम भी है, क्योंकि अब पाकिस्तान में चीन की भी एक मजबूत लॉबी तैयार हो चुकी है। पाकिस्तान के कई विश्लेषकों की राय है कि इमरान खान सरकार पूरी तरह अब इस लॉबी के प्रभाव में है।

Tanuja

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