तबाही के कगार पर दुनिया !

Wednesday, Jun 28, 2017 - 05:09 PM (IST)

वॉशिंगटन: भारत समेत दुनिया भर में डेढ़ महीने के अंदर दूसरे बड़े साइबर हमले ने चिंता बढ़ा दी है। इस बार भी अब तक साइबर हमलावर का पता नहीं चल सका है।फिलहाल इस बात के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं कि साइबर हमलावरों ने कितनी वैबसाइट और कंप्यूटरों को निशाना बनाया।रूस और यूक्रेन से शुरू हुए इस हमले ने दुनिया भर को अपनी चपेट में ले लिया है। साइबर हमलावर ने फिरौती भी मांगी है।साइबर सुरक्षा एजैंसियों की माने, तो पेटरैप नाम के रैन्समवेयर वायरस ने विश्व की बड़ी 20 कंपनियों की वेबसाइट को अपने कब्जे में ले लिया है।

इस साइबर हमले के बाद से यह सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर कौन देश इन साइबर हमलों को अंजाम नहीं दे रहे हैं। इसके पीछे आतंकियों के हाथ होने की भी आशंका जताई जा रही है। हाल ही के दिनों में देखने को मिला है कि साइबर हैकिंग के चलते कई देशों के आपसी रिश्ते खराब हुए हैं। अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में हैकिंग के जरिए दखल देने का मामला सामने आया था, जिसका आरोप रूस पर लगा था, इसके चलते अमेरिका और रूस के रिश्ते बिगड़ गए थे। दिलचस्प बात यह है कि इसमें साइबर हमलावर की पहचान भी नहीं हो पाती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर हमलावर की पहचान नहीं होने से एक देश दूसरे को महज आशंका के आधार पर निशाना बना सकता है।ऐसे में प्रतिद्वंदी देशों के बीच कटुता तेजी से बढ़ सकती है। कई विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अगला विश्वयुद्ध ऑनलाइन लड़ा जाएगा, जो परमाणु युद्ध से भी ज्यादा घातक हो सकता है।अमरीका समेत दुनिया के शक्तिशाली देशों के परमाणु हथियार भी धरे के धरे रह जाएंगे और हैकर दुनिया को चंद सेकंडों में तबाह कर देंगे। वर्तमान में कतर संकट और खाड़ी क्षेत्र में उपजे तनाव के लिए हैकिंग को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है। ऐसे में साइबर सुरक्षा दुनिया भर के लिए चुनौती है।

अमरीका भी नहीं कर पाया जवाबी हमला
राष्ट्रपति चुनाव के बाद अमेरिकी खुफिया एजैंसियों ने मामले की जांच की, तो पाया कि रूस ने अमरीकी चुनाव में दखल देकर ट्रंप को जिताया था। इसके बाद अमरीका ने अपने यहां से रूसी राजनयिकों को निकाल दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।अमरीका जैसा दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश भी इस साइबर हमले से  खुद को नहीं बचा पाया और न ही जवाबी कार्रवाई कर पाया।12 मई को ब्रिटेन के दर्जनों अस्पतालों के कंप्यूटर को हैकरों ने रैंजमवेयर के जरिए हैक कर लिया गया था। इस सबसे बड़े साइबर हमले की चपेट में 99 देश आए थे, लेकिन आज तक हमलावर का कोई अतापता नहीं चला।साइबर हमले ने लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है।

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