इस देश में जंगलों की आग रोकेगी बकरियों की सेना

Tuesday, Aug 20, 2019 - 04:04 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः ज्यादातर देश जंगलों की आग से होने वाले नुकसान से बचने के लिए फायर ब्रिगेड व उच्चतकनीक का सहारा लेते हैं लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा है जिसने जंगलों की आग से निपटने के लिए बकरियों की सेना तैयार करनी शुरू कर दी है। हैरानी की बात यह है कि जंगल की आग पर काबू के लिए ड्रोन तकनीक, सैटलाइट्स और एयरक्राफ्ट के प्रयोग के चलते बकरियां कैसे मददगार साबित होंगी। लेकिन पुर्तगाल सरकार ने इस आपदा से निपटने के लिए बकरियों का सहारा लिया है।

पुर्तगाल में लंबे समय से जमीन प्रबंधन की मांग हो रही थी और जंगलों की आग के संकट ने इस बहुप्रतीक्षित व्यवस्था की भी शुरुआत कर दी। इन सभी तकनीकी प्रयोग और जमीन प्रबंधन व्यवस्था के बाद प्रशासन ने बकरी का प्रयोग शुरू किया है। पुर्तगाल ही नहीं कई दक्षिणी यूरोपीय देशों में भी जंगलों की आग समस्या है। जंगलों की आग भड़कने का एक कारण गांवों में घटती आबादी भी है। गांवों में भेड़ों और बकरियों के चरवाहों की संख्या काफी अधिक थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनका पलायन बढ़ा है। ऐसे में जंगलों का बढ़ता आकार गांव तक पहुंच जाता है और आग लगने की घटनाएं तेजी से फैलती हैं।

पायलट प्रॉजेकट लांच
पुर्तगाल के अधिकारियों ने इस समस्या का समाधान ढूंढ़ा है कि फिर से गांवों में बकरियों की सेना यानि संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि बकरियों और भेड़ों की संख्या को फिर से यदि गांवों में बढ़ाया जाए तो जंगलों में लगनेवाली आग को सीमित किया जा सकता है। 49 साल के लियोनल मार्टिंस पेरेरिया को शायद जंगलों की आग पर काबू पाने के कार्यक्रमों की अगुवाई करनेवालों में गिना जाएगा। पुर्तगाल सरकार की ओर से जारी इस पायलट प्रॉजेकट से वह भी जुड़े हैं। उनका कहना है कि हो सकता है कि इन कार्यक्रमों से लोगों की जागरूकता बढ़े और क्लाइमेट चेंज को लेकर लोग अधिक सतर्क हों।

बकरियां ऐसे करेंगी मदद
दक्षिणी पुर्तगाल में स्ट्रॉबेरी के पेड़ काफी संख्या में हैं और कई किसान इनकी खेती करते हैं। स्ट्रॉबेरी के पेड़ की पत्तियां आग के लिहाज से संवेदनशील होती हैं और बहुत जल्दी आग पकड़ लेती हैं। अगर गांव में पर्याप्त संख्या में बकरियां हों तो आसानी से इन पत्तियों को खा जाएंगी। बकरियों का यह प्रॉजेक्ट सरकार ने पिछले साल ही शुरू किया है। इसके लिए कुछ खास इलाकों की पहचान की गई है जहां 6,700 एकड़ हिस्से में 40 से 50 बकरियों और भेड़ों के लिए सुरक्षित स्थान बनाए गए। इनमें 10,800 भेड़ों और बकरियों के लिए रहने की व्यवस्था की गई है।


 

Tanuja

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