हज के जरिए चांदी कूट रहा सऊदी अरब

punjabkesari.in Monday, Aug 07, 2017 - 02:46 AM (IST)

रियाद: हज एक इस्लामी तीर्थयात्रा और मक्का में प्रतिवर्ष मुस्लिम लोगों का विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा है। दुनिया भर से लाखों मुसलमान हर वर्ष हज करने सऊदी अरब आते हैं। हज के वक्त सऊदी अरब में आर्थिक गतिविधियां भी खासी तेज हो जाती हैं। इस वर्ष हज के लिए मक्का और मदीना शरीफ जाने वालों की रवानगी का सिलसिला शुरू हो चुका है। 

वहीं कई लोगों के जेहन में यह सवाल आता है कि हज और अल-उमरा जाने वाले मुसलमानों से सऊदी अरब को कितनी आमदनी होती है तथा सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में इस आमदनी का कितना हिस्सा है। कहा जा सकता है कि सऊदी अरब हज के जरिए चांदी कूट रहा है। पिछले साल सऊदी अरब को हज से 12 अरब डॉलर की सीधी आमदनी हुई। भारतीय मुद्रा में यह रकम 76,500 करोड़ रुपए से ज्यादा बनती है। हालांकि यह पूरा पैसा सऊदी अरब की आमदनी नहीं है लेकिन इससे उसकी अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा सहारा मिलता है। 

औसतन हर वर्ष 25 लाख मुसलमानों ने किया हज
पिछले वर्ष कुल 83 लाख लोग हज के लिए सऊदी अरब आए थे। इनमें से 60 लाख से ज्यादा लोग सऊदी अरब के धार्मिक केंद्र अल-उमरा भी गए। पिछले दशक में औसतन हर वर्ष 25 लाख मुसलमानों ने हज किया। दुनिया भर में मुसलमानों की जितनी आबादी है उसका महज 2 प्रतिशत ही सऊदी अरब में रहते हैं। 

भारत का कोटा 11 प्रतिशत
सऊदी अरब ने हज आने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए हरेक देश का एक कोटा तय कर रखा है। इंडोनेशिया का कोटा सबसे ज्यादा है। यहां से 2,20,000 लोग हर साल हज के लिए सऊदी जा सकते हैं। हज के कोटे का यह 14 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बाद पाकिस्तान (11 प्रतिशत), भारत (11 प्रतिशत) और बंगलादेश (8 प्रतिशत) की बारी आती है। इस सूची में नाइजीरिया, ईरान, तुर्की, मिस्र जैसे देश भी शामिल हैं। 


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