म्यांमार लौटने वाले रोहिंग्या को नागरिकता की गारंटी नहीं

Saturday, Jun 30, 2018 - 05:00 AM (IST)

यांगून: म्यांमार लौटने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को नागरिकता या देश भर में आंदोलन की स्वतंत्रता की कोई स्पष्ट गारंटी नहीं होगी। म्यांमार सरकार और संयुक्त राष्ट्र के बीच इस आशय का गुप्त समझौता हुआ है जिसकी प्रति रायटर ने देखी है। 

संयुक्त राष्ट्र ने मई के अंत में म्यांमार के साथ इस आशय का समझौता किया था लेकिन इस सौदे का विवरण सार्वजनिक नहीं किया। इसका उद्देश्य बंगलादेश में शरण लेने वाले कई लाख रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षित और स्वैच्छिक वापसी सुनिश्चित करना था। रायटर ने संयुक्त राष्ट्र और म्यांमार के अधिकारियों के बीच हुए इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) की प्रति की शुक्रवार को समीक्षा की। मसौदा ऑनलाइन भी लीक हुआ है। म्यांमार लौटने वाले शरणार्थियों की नागरिकता और अधिकार इस समझौते को लेकर हुए वार्ता के दौरान विवाद के प्रमुख मुद्दे थे। 

पिछले वर्ष अगस्त से संघर्ष-प्रभावित राखिने प्रांत में पहुंच को लेकर प्रतिबंधित संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की पहुंच बहाल करने को लेकर भी चर्चा हुई। एमओयू के मुताबिक,"मौजूदा कानूनों और नियमों के अनुरूप, राखिने प्रांत में वापसी करने वालों को वही आंदोलन की आजादी मिलेगी जो कि अन्य सभी म्यांमार नागरिकों को हासिल है।" रायटर द्वारा देखी गई प्रति के मुताबिक यह राखिने प्रांत की सीमाओं से परे आंदोलन की स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देता है या फिर कानून और नियमों के मुताबिक रोहिंग्या को स्वतंत्र रूप से यात्रा करने से रोकता है। 

शरणार्थी नेताओं और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह समझौता रोहिंग्या के लिए बुनियादी अधिकार सुनिश्चित करने में पूरीतरह विफल है। सेना के अभियान, जिसे कुछ पश्चिमी देशों ने‘जातीय नरसंहार’करार दिया, के दौरान करीब 700,000 रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार छोड़कर भागे हुए हैं।  

Pardeep

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