म्यांमार में फूंक दिए मुस्‍लिमों के घर,  58,000 रोहिंग्‍या बांग्‍लादेश भागे

Saturday, Sep 02, 2017 - 03:51 PM (IST)

कॉक्‍सः म्‍यांमार के उत्‍तर पश्‍चिम स्‍थित रोहिंग्‍या बहुल इलाके में  मुस्लिम अल्पसंख्यक से जुड़े हिंसा मामले बढ़ते जा रहे हैं और सबसे घातक है। संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHRC) के अनुसार, करीब 58,000 रोहिंग्‍या मुसलमान म्‍यांमार से जान बचाकर पड़ोसी देश बांग्‍लादेश चले गए। म्‍यांमार अधिकारियों ने अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (आरसा) पर घर जलाने का आरोप लगाया। ग्रुप ने दावा किया कि पिछले हफ्ते सुरक्षा चौकियों पर हुए हमले के कारण यह सब हुआ। बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं।

यहां कई सालों से रोहिंग्या और बौद्धों के बीच संघर्ष चल रहा है। कई हजार रोहिंग्या जान बचाकर बांग्लादेश भाग चुके हैं। रोहिंग्या लोग म्यांमार सरकार पर नस्लीय हिंसा का आरोप लगाते रहे हैं। बौद्ध बहुल म्‍यांमार की करीब 1.1 मिलियन रोहिंग्‍या समुदाय आंग सान सू की के लिए काफी बड़ी चुनौती है। म्‍यांमार का कहना है कि कोतांकुक, माइनलुट और काइकानपिन गांवों के कुल 2,625 घरों को आरसा ने जला दिया है। म्‍यांमार सरकार द्वारा आरसा समूह को आतंकी घोषित कर दिया गया है लेकिन न्‍यूयार्क की ह्यूमन राइट्स वॉच ने इमेजरी सैटेलाइट शोज के जरिए पूरे मामले को देखते हुए कहा म्‍यांमार के सिक्‍योरिटी फोर्सेज ने जान बूझकर आग लगाई है।

म्‍यांमार और बांग्‍लादेश को अलग करने वाली नाफ नदी के पास पहुंचने वाले रिफ्यूजी साथ में बोरियों में अपना सामान लेकर आए हैं। वे वहीं पर झुग्‍गी बना रहे हैं या फिर स्‍थानीय निवासियों के घर में पनाह ले रहे हैं। रोहिंग्‍या मुसलमानों को म्‍यांमार में नागरिकता से इंकार कर दिया गया और अवैध प्रवासी करार दिया गया। जबकि उन्‍होंने दावा किया था कि उनके पूर्वज यहीं के थे। 

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