भावुक हुए ऋषि सूनक की गुहार, बोले- यूके में लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है

Monday, Mar 04, 2024 - 08:50 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि मुझे डर है कि दुनिया के सबसे सफल बहु-जातीय, बहु-धार्मिक वाले यूके के लोकतंत्र को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं जो हमें तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।'' गौरतलब है कि हाल ही के उपचुनाव में सुनक की सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है और विवादित राजनेता जॉर्ज गोलबे ग्रेटर मानचेस्टर सीट पर चुनाव जीते हैं। उन्हें इजराइल में हो रहे युद्ध के कारण इंग्लैंड में हमास के समर्थकों और विरोधियों के मध्य हुए विभाजन का फायदा मिला है। जिस कारण उनकी जीत हुई है। ऋषि सुनक की यूके के लोकतंत्र को लेकर टिप्पणी इसी संदर्भ में की गई है।

सुनक ने प्रधानमंत्री कार्यालय सह आधिकारिक निवास ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट' के बाहर एक भाषण में कहा, ‘‘जो प्रवासी यहां आए हैं, उन्होंने एकजुट होकर योगदान दिया है। उन्होंने हमारे देश की कहानी में एक नया अध्याय लिखने में मदद की है। उन्होंने अपनी पहचान छोड़े बिना ऐसा किया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘आप हिंदू और गौरवान्वित ब्रितानी नागरिक हो सकते हैं जैसे कि मैं हूं या आप धर्मनिष्ठ मुस्लिम और एक देशभक्त नागरिक हो सकते हैं जैसे कि कई लोग हैं या एक समर्पित यहूदी और अपने स्थानीय समुदाय की जान हो सकते हैं तथा ये सभी हमारे स्थापित ईसाई गिरजाघर की सहिष्णुता पर आधारित है।'' ब्रिटेन के सांसदों के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और इजराइल-हमास संघर्ष को लेकर ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर निकाले गए मार्च के दौरान हिंसा के बाद प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी आई है।

सुनक ने देश के लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक भावुक अपील करते हुए आगाह किया कि चरमपंथी ताकतें देश को तोड़ने और उसकी बहु-धार्मिक पहचान को कमजोर करने पर तुली हैं। अपनी हिंदू मान्यताओं का हवाला देते हुए ब्रिटिश भारतीय नेता ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन के स्थायी मूल्य सभी धर्मों और जातियों के प्रवासियों को स्वीकार करते हैं और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि चरमपंथी ताकतें शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर काबिज न हो जाएं। 

सुनक ने हाल ही के अपने भाषणों में कई बार कहा है कि ब्रिटेन के कई शहरों की गलियों पर ऐसे प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो रहा है जिनका लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारी हिंसा को जायज ठहराते हैं। लेकिन यह उचित नहीं है।

 

Yaspal

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