तारे के धमाके से खत्म हो सकती है ग्रहों पर जीवन की संभावना

Saturday, Oct 20, 2018 - 03:09 PM (IST)

लॉसएंजलिसः अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के  वैज्ञानिकों ने हबल टेलीस्कोप की मदद से पता लगाया है कि कुछ तारों पर होने वाला भीषण विस्फोट (सुपर फ्लेयर) उसकी परिक्रमा कर रहे ग्रहों के वायुमंडल को प्रभावित करता है। इससे ग्रह पर जीवन की संभावना खत्म हो सकती है।। उनके मुताबिक, इन विस्फोटों की ऊर्जा सूर्य पर होने वाले विस्फोट से भी 10 हजार गुना ज्यादा होती है।बता दें कि हबल टेलीस्कोप ‘हैबिटेबल जोन एंड एम ड्वॉर्फ एक्टिविटी एक्रौस टाइम’ नामक प्रोग्राम के तहत उन तारों का अध्ययन कर रहा है। यह अध्ययन द एस्ट्रोफिजिकल नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि ‘एम ड्वॉर्फ’ या रेड ड्वॉर्फ तारे आकाश गंगा में अत्यधिक मात्रा में मौजूद सबसे छोटे और सबसे अधिक दिन जीवित रहने वाले तारे हैं। इन तारों पर होने वाले विस्फोट से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें तीव्र चुंबकीय क्षेत्र के कारण सूर्य जैसे तारों से काफी चमकीली होती हैं।

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि केवल चार करोड़ वर्ष पुराने तारों का सुपर फ्लेयर उनसे अधिक पुराने तारों के मुकाबले 100 से एक हजार गुना अधिक तीव्र होता है। हमारी आकाशगंगा में तीन- चौथाई एम ड्वॉर्फ तारे हैं। जीवन की संभावना वाले ज्यादातर ग्रह भी इन्हीं तारों की परिक्रमा कर रहे हैं। सूर्य के सबसे नजदीक मौजूद प्रॉक्सीमा सेनटाउरी नाम के तारे के पास पृथ्वी के बराबर आकार वाला ग्रह है। यह ग्रह तारे से ठीक उतनी ही दूरी पर मौजूद है जहां जीवन की संभावना सबसे अधिक होती है। 
खगोलविदों का कहना है कि तारों पर होने वाले विस्फोट ग्रहों के वायुमंडल को प्रभावित करते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इससे वहां पर जीवन की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाए। शोधकर्ता पार्क लॉयड ने कहा, ‘संभवत: उन ग्रहों का जीवन हमारे अनुमान से अलग हो। विस्फोट से नष्ट हुए उनके वायुमंडल को फिर से ठीक करने की भी अलग प्रक्रिया हो सकती है।’
 

Tanuja

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