चीन में जिनपिंग के वफादारों की पहचान के लिए ''शुद्धिकरण अभियान'' शुरू

Wednesday, Mar 03, 2021 - 04:56 PM (IST)

 बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कार्यकाल 2023 में खत्म हो रहा है। वह 8 साल से सत्ता में हैं।  ऐसे में उन्होंने सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए 'शुद्धिकरण अभियान' छेड़ दिया है। हालांकि चीन में  सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों का जनता से कोई सरोकार नहीं है। शी अब  इस सोच को बदलने के लिए माओ जैसी सुधार मुहिम चला रहे हैं। जिनपिंग  ने वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की है चीनी राजनीति की गंदी दुनिया को साफ़ कर उसका शुद्धिकरण किया जाए। लेकिन ये  ये काम काफी मुश्किल है क्योंकि लगभग हर हफ़्ते नए घपले सामने आ रहे हैं, जिनसे सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी और आम लोगों के बीच खाई बढ़ती जा रही है।

 

27 फरवरी को कम्युनिस्ट पार्टी ने ऐलान किया कि वह बहुप्रतीक्षित शुद्धिकरण अभियान छेड़ेगी। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी और शीर्ष नेता शी जिनपिंग के प्रति वफादारी नहीं रखने वाले लोगों की पहचान की जाएगी। चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कार्यकाल 2023 में पूरा होना है लेकिन उन्होंने सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए शुद्धिकरण अभियान छेड़ दिया है।  8 साल से शीर्ष पद पर बने जिनपिंग की यह कवायद घरेलू सिक्योरिटी फोर्स के लिए गहरी चिंता का सबब बन गई है। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी और शीर्ष नेता शी जिनपिंग के प्रति वफादारी नहीं रखने वाले लोगों की पहचान की जाएगी।

 

सरकार नियंत्रित मीडिया ने इसे 1990 के बाद घरेलू सिक्योरिटी सिस्टम में चलाया जाने वाला सबसे बड़ा अभियान बताया है। इसके जरिए पुलिस, सीक्रेट पुलिस, न्यायपालिका और जेलों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये एजेंसियां पूरी तरह वफादार, खरी और विश्वसनीय हैं। अधिकारी मानते हैं कि यह अभियान 1940 की शुरुआत में चले सुधार अिभयान की तरह है। उस समय कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन नेता माओ ने नियंत्रण स्थापित करने के लिए व्यापक सफाई अभियान चलाया था। ये अहम है कि चीन में 1990 के बाद ऐसे ही एक और अभियान की जरूरत बताई जा रही थी। 2012 में सत्ता संभालने के बाद जिनपिंग ने भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ी है। रक्षा पृष्ठभूमि वाले शक्तिशाली अफसरों समेत हजारों अफसरों को सजा दी गई।

 

चीन की सबसे बड़ी सालाना राजनीतिक बैठक गुरुवार से शुरू होगी। इसमें 14वें पांच वर्षीय प्लान का खुलासा किया जाएगा और शी जिनपिंग के विजन-2035 पर भी चर्चा होगी। इससे देश में ऐसा माहौल बनाया जाएगा, जो जिनपिंग की तीसरी पारी का मार्ग प्रशस्त करेगा। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में एसओएएस चाइना इंस्टीट्यूट के प्राे. स्टीव सांग के मुताबिक कम्युनिस्ट पार्टी में ही कई नेता नहीं चाहते कि जिनपिंग तीसरी बार चुने जाएं। लेकिन वे बहुमत में नहीं हैं।

Tanuja

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