तालिबान इस कारण बेहद नफरत करता है महिला फुटबॉलर्स से, डर से बार-बार जगह बदल रहीं खिलाड़ी

Thursday, Sep 02, 2021 - 02:13 PM (IST)

वाशिंगटन: वे लड़कियां तालिबान से बचने के लिए अफगानिस्तान में एक जगह से दूसरी जगह छिप रही हैं। इन लड़कियों की जान को खतरा है क्योंकि इन्होंने उस खेल को चुना जिसे वे प्यार करती हैं। ये अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम की सदस्य हैं। अफगान इस महिला टीम का गठन 2007 में किया गया था। जहां खेल खेलने वाली महिलाओं को तालिबान के खिलाफ राजनीतिक विरोध के रूप में देखा जाता था।

अफगानिस्तान की राष्ट्रीय महिला टीम की सदस्यों, उनके परिवार के सदस्यों और फुटबॉल महासंघ के कर्मचारियों को देश के बाहर निकालने के प्रयासों को पिछले हफ्ते झटका लगा जब काबुल हवाई अड्डे पर आत्मघाती आतंकी हमले में अफगानिस्तान के 169 नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये लड़कियां अब डरी हुई हैं और चिंतित हैं कि क्या उन्हें और उनके परिवार वालों को देश से बाहर निकाला जा सकेगा। पूर्व चीफ आफ स्टाफ और राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में वाइट हाउस के अधिकारी रहे रॉबर्ट मैकक्रीरी ने कहा, ‘‘वे युवा लड़कियां हैं जिन्हें खेलना चाहिए था, झूले झूलना चाहिए था, अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहिए था और यहां वे काफी बुरी स्थिति में हैं और वह भी सिर्फ फुटबॉल खेलने के कारण।'' 

अफगानिस्तान के विशेष बल के साथ काम कर चुके रॉबर्ट ने कहा, ‘‘हमें उन्हें बचाने और सुरक्षित जगह पर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। '' हवाई अड्डे पर आत्मघाती हमला इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने किया जो तालिबान के प्रतिद्वंद्वी हैं। अमेरिकी सेना भी स्वीकार कर चुकी है कि लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के दौरान उन्होंने कुछ हद तक तालिबान के साथ कुछ हक तक समन्वय स्थापित किया था जिसने लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हवाई अड्डे के आसपास चेकप्वाइंट बनाए थे और आखिरी दिनों में अमेरिकी नागरिको देश से बाहर निकालने में सहयोग किया। 

Anil dev

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