ब्लिंकन: चीन के खिलाफ रूस-यूक्रेन गुट का लाभ उठाएगा अमेरिका
Thursday, May 26, 2022 - 08:27 PM (IST)
वाशिंगटन, 26 मई (एपी) अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का कहना है कि बाइडन प्रशासन का लक्ष्य यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का विरोध करने वाले अंतरराष्ट्रीय गुट को चीन के खिलाफ व्यापक गठबंधन के तौर पर विकसित करने का है जिसे वह वैश्विक व्यवस्था के लिये ज्यादा गंभीर व दीर्घकालिक खतरे के तौर पर देखता है।
विदेश विभाग की तरफ से जारी ब्लिंकन द्वारा बृहस्पतिवार को दिए जाने वाले संबोधन के अंशों के मुताबिक, विदेश मंत्री भाषण में प्रशासन की चीन नीति को रेखांकित करते हुए 21वीं सदी के आर्थिक और सैन्य संतुलन को परिभाषित करने की दौड़ में बीजिंग के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक दृष्टिकोण रखेंगे।
अमेरिका जहां यूक्रेन में रूस और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध को अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए सबसे तीव्र और तत्कालिक खतरे के रूप में देखता है, ब्लिंकन का कहना है कि प्रशासन का मानना है कि चीन एक बड़ा खतरा है।
ब्लिंकन अपने संबोधन में कहेंगे, “ऐसे में जब राष्ट्रपति पुतिन का युद्ध जारी है, हम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती पर ध्यान केंद्रित करेंगे - और यह पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा पेश की गई है।”
वह कहेंगे, “चीन एक ऐसा देश है जिसके पास अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की एक अलग दृष्टि को आगे बढ़ाने के इरादे के साथ-साथ आर्थिक, तकनीकी, सैन्य और राजनयिक साधन भी हैं। बीजिंग का दृष्टिकोण हमें उन सार्वभौमिक मूल्यों से दूर ले जाएगा, जिन्होंने पिछले 75 वर्षों में दुनिया की इतनी प्रगति को कायम रखा है।”
इस प्रकार, ब्लिंकन प्रशासन के लिए सिद्धांतों का खाका तैयार करेंगे जिससे वह अपने संसाधनों, मित्रों और सहयोगियों को दुनिया भर में बढ़ती चीनी आक्रामकता को काबू में रखने के लिये सुव्यवस्थित करे।
हालांकि वह यह भी स्वीकार करेंगे कि अमेरिका के पास चीन के इरादों और महत्वाकांक्षाओं को सीधे प्रभावित करने की सीमित क्षमता है। प्रशासन इसके बजाए चीन के आसपास के रणनीतिक माहौल को आकार देने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में दिए जाने वाले भाषण में ब्लिंकन कहेंगे, “हम चीन पर रास्ता बदलने को लेकर भरोसा नहीं कर सकते। इसलिए हम एक खुली और समावेशी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के वास्ते बीजिंग के आसपास के रणनीतिक वातावरण को आकार देंगे।”
यह संबोधन राष्ट्रपति जो बाइडन के हाल में संपन्न हुए दक्षिण कोरिया और जापान के दौरे के बाद हो रहा है। इस दौरे के दौरान चर्चा में चीन का साया व्यापक रूप से था।
यात्रा के दौरान बाइडन ने भृकुटि तानते हुए कहा था कि चीन द्वारा आक्रमण की स्थिति में ताइवान को अपनी रक्षा करने में मदद करने के लिए अमेरिका सैन्य रूप से कार्य करेगा। चीन द्वीप (ताइवान) को एक स्वपक्ष त्यागी राष्ट्र मानता है।
प्रशासन ने जोर देकर कहा कि बाइडन अमेरिकी नीति नहीं बदल रहे थे और अधिकारियों ने कहा कि ब्लिंकन फिर से दोहराएंगे कि अमेरिका ने अपनी स्थिति नहीं बदली है। संबोधन के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक ब्लिंकन कहेंगे कि वाशिंगटन अब भी अपनी “एक चीन” नीति पर कायम है, जो बीजिंग को मान्यता देती है लेकिन ताइपे के साथ अनौपचारिक संबंधों और हथियारों की बिक्री की अनुमति देती है।
अधिकारियों ने कहा कि ब्लिंकन यह बात रखेंगे कि यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर हुई वैश्विक प्रतिक्रिया एक ऐसे सांचे के तौर पर काम करेगी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से देशों के बीच संबंधों को निर्देशित करने वाले नियमों और संस्थानों को बदल नई विश्व व्यवस्था कायम करने के चीन के प्रयासों से निपटने के काम आएगी।
ब्लिंकन कहेंगे कि चीन को उस अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से बहुत फायदा हुआ है, लेकिन अब वह राष्ट्रपति शी चिनफिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में इसे खत्म करने की कोशिश कर रहा है।
एपी प्रशांत उमा उमा 2605 2027 वाशिंगटन
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
विदेश विभाग की तरफ से जारी ब्लिंकन द्वारा बृहस्पतिवार को दिए जाने वाले संबोधन के अंशों के मुताबिक, विदेश मंत्री भाषण में प्रशासन की चीन नीति को रेखांकित करते हुए 21वीं सदी के आर्थिक और सैन्य संतुलन को परिभाषित करने की दौड़ में बीजिंग के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक दृष्टिकोण रखेंगे।
अमेरिका जहां यूक्रेन में रूस और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध को अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए सबसे तीव्र और तत्कालिक खतरे के रूप में देखता है, ब्लिंकन का कहना है कि प्रशासन का मानना है कि चीन एक बड़ा खतरा है।
ब्लिंकन अपने संबोधन में कहेंगे, “ऐसे में जब राष्ट्रपति पुतिन का युद्ध जारी है, हम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती पर ध्यान केंद्रित करेंगे - और यह पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा पेश की गई है।”
वह कहेंगे, “चीन एक ऐसा देश है जिसके पास अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की एक अलग दृष्टि को आगे बढ़ाने के इरादे के साथ-साथ आर्थिक, तकनीकी, सैन्य और राजनयिक साधन भी हैं। बीजिंग का दृष्टिकोण हमें उन सार्वभौमिक मूल्यों से दूर ले जाएगा, जिन्होंने पिछले 75 वर्षों में दुनिया की इतनी प्रगति को कायम रखा है।”
इस प्रकार, ब्लिंकन प्रशासन के लिए सिद्धांतों का खाका तैयार करेंगे जिससे वह अपने संसाधनों, मित्रों और सहयोगियों को दुनिया भर में बढ़ती चीनी आक्रामकता को काबू में रखने के लिये सुव्यवस्थित करे।
हालांकि वह यह भी स्वीकार करेंगे कि अमेरिका के पास चीन के इरादों और महत्वाकांक्षाओं को सीधे प्रभावित करने की सीमित क्षमता है। प्रशासन इसके बजाए चीन के आसपास के रणनीतिक माहौल को आकार देने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में दिए जाने वाले भाषण में ब्लिंकन कहेंगे, “हम चीन पर रास्ता बदलने को लेकर भरोसा नहीं कर सकते। इसलिए हम एक खुली और समावेशी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के वास्ते बीजिंग के आसपास के रणनीतिक वातावरण को आकार देंगे।”
यह संबोधन राष्ट्रपति जो बाइडन के हाल में संपन्न हुए दक्षिण कोरिया और जापान के दौरे के बाद हो रहा है। इस दौरे के दौरान चर्चा में चीन का साया व्यापक रूप से था।
यात्रा के दौरान बाइडन ने भृकुटि तानते हुए कहा था कि चीन द्वारा आक्रमण की स्थिति में ताइवान को अपनी रक्षा करने में मदद करने के लिए अमेरिका सैन्य रूप से कार्य करेगा। चीन द्वीप (ताइवान) को एक स्वपक्ष त्यागी राष्ट्र मानता है।
प्रशासन ने जोर देकर कहा कि बाइडन अमेरिकी नीति नहीं बदल रहे थे और अधिकारियों ने कहा कि ब्लिंकन फिर से दोहराएंगे कि अमेरिका ने अपनी स्थिति नहीं बदली है। संबोधन के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक ब्लिंकन कहेंगे कि वाशिंगटन अब भी अपनी “एक चीन” नीति पर कायम है, जो बीजिंग को मान्यता देती है लेकिन ताइपे के साथ अनौपचारिक संबंधों और हथियारों की बिक्री की अनुमति देती है।
अधिकारियों ने कहा कि ब्लिंकन यह बात रखेंगे कि यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर हुई वैश्विक प्रतिक्रिया एक ऐसे सांचे के तौर पर काम करेगी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से देशों के बीच संबंधों को निर्देशित करने वाले नियमों और संस्थानों को बदल नई विश्व व्यवस्था कायम करने के चीन के प्रयासों से निपटने के काम आएगी।
ब्लिंकन कहेंगे कि चीन को उस अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से बहुत फायदा हुआ है, लेकिन अब वह राष्ट्रपति शी चिनफिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में इसे खत्म करने की कोशिश कर रहा है।
एपी प्रशांत उमा उमा 2605 2027 वाशिंगटन
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