भारत और अमेरिका ने तालिबान से प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आग्रह किया
Saturday, Sep 25, 2021 - 02:24 PM (IST)
वाशिंगटन, 25 सितंबर (भाषा) भारत और अमेरिका ने तालिबान से अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यक समूहों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है। दोनों देशों ने अफगानिस्तान के नये शासकों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि युद्धग्रस्त देश की धरती का इस्तेमाल किसी भी अन्य देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह या प्रशिक्षण देने के लिए फिर से न हो।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को यहां पहली आमने-सामने की बैठक के बाद संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर विशेष जोर दिया।
संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने संकल्प किया कि तालिबान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करना चाहिए जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी अन्य देश को धमकाने या उसपर हमला करने या किसी आतंकवादी को प्रशिक्षित करने या शरण देने या आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने के लिए दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर जोर दिया।
यह प्रस्ताव अगस्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के दौरान मंजूर किया गया था।
बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने तालिबान का प्रस्ताव की इन बातों और तमाम दूसरी प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करने के लिए आह्वान किया है जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों का अफगानिस्तान से सुरक्षित, एवं व्यवस्थित प्रस्थान और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करना शामिल है।
इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के प्रयासों के महत्व पर भी जोर दिया और तालिबान से संयुक्त राष्ट्र, इसकी विशेष एजेंसियों और कार्यान्वयन भागीदारों और मानवीय राहत गतिविधियों में लगे सभी मानवीय कर्ताओं के लिए पूर्ण, सुरक्षित, प्रत्यक्ष और निर्बाध पहुंच की अनुमति देने का आह्वान किया। यह आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के संबंध में भी था।
बयान में कहा गया कि बयान में कहा गया है कि अफगान लोगों के लिए विकास और आर्थिक अवसर को बढ़ावा देने के लिए अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, दोनों नेताओं ने सभी अफगानों के लिए एक समावेशी और शांतिपूर्ण भविष्य की दिशा में निकट समन्वय जारी रखने और भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से काम करने का दृढ़ संकल्प किया।
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव ने काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 26 अगस्त के कायराना हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की थी, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट (दाएश) से संबद्ध संगठन खुरासान प्रांत में इस्लामिक स्टेट ने ली थी। प्रस्ताव में तालिबान द्वारा इस हमले की निंदा पर गौर किया गया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को यहां पहली आमने-सामने की बैठक के बाद संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर विशेष जोर दिया।
संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने संकल्प किया कि तालिबान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करना चाहिए जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी अन्य देश को धमकाने या उसपर हमला करने या किसी आतंकवादी को प्रशिक्षित करने या शरण देने या आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने के लिए दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर जोर दिया।
यह प्रस्ताव अगस्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के दौरान मंजूर किया गया था।
बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने तालिबान का प्रस्ताव की इन बातों और तमाम दूसरी प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करने के लिए आह्वान किया है जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों का अफगानिस्तान से सुरक्षित, एवं व्यवस्थित प्रस्थान और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करना शामिल है।
इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के प्रयासों के महत्व पर भी जोर दिया और तालिबान से संयुक्त राष्ट्र, इसकी विशेष एजेंसियों और कार्यान्वयन भागीदारों और मानवीय राहत गतिविधियों में लगे सभी मानवीय कर्ताओं के लिए पूर्ण, सुरक्षित, प्रत्यक्ष और निर्बाध पहुंच की अनुमति देने का आह्वान किया। यह आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के संबंध में भी था।
बयान में कहा गया कि बयान में कहा गया है कि अफगान लोगों के लिए विकास और आर्थिक अवसर को बढ़ावा देने के लिए अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, दोनों नेताओं ने सभी अफगानों के लिए एक समावेशी और शांतिपूर्ण भविष्य की दिशा में निकट समन्वय जारी रखने और भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से काम करने का दृढ़ संकल्प किया।
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव ने काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 26 अगस्त के कायराना हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की थी, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट (दाएश) से संबद्ध संगठन खुरासान प्रांत में इस्लामिक स्टेट ने ली थी। प्रस्ताव में तालिबान द्वारा इस हमले की निंदा पर गौर किया गया था।
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