भारतीय राजदूत ने चीनी उप विदेश मंत्री से मुलाकात की, सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पूरी करने की अपील की

Friday, Mar 05, 2021 - 11:02 PM (IST)

बीजिंग, पांच मार्च (भाषा) चीन में नियुक्त भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को चीनी उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से मुलाकात की। उन्होंने पूर्वी लद्दाख के शेष हिस्सों से दोनों देशों के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे सीमा पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए अनुकूल माहौल भी बनेगा। दोनों देशों के सैनिकों और सैन्य साजो सामान को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों से हटाया जाना पूरा होने के कुछ दिनों बाद उनकी यह मुलाकात हुई है। समझा जाता है कि भारत ने पिछले महीने दोनों देशों के वरिष्ठ कमांडरों की 10 वें दौर की बैठक में इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में तनाव घटाने के लिए हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे इलाकों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया तेज करनी होगी।

यहां भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘राजदूत विक्रम मिस्री ने उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से आज मुलाकात की। भारतीय राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए हमेशा ही आधार रहा है। ’’ एक अन्य ट्वीट में कहा गया है, ‘‘शेष इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी करने के महत्व पर जोर देते हुए राजदूत विक्रम मिस्री ने इस बात का जिक्र किया कि इससे शांति एवं स्थिरता बहाल करने तथा संबंधों में प्रगति के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिलेगी।’’नयी दिल्ली में, भारतीय विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार को उम्मीद जतायी कि चीन राजनयिकों एवं सैन्य कमांडरों के बीच मौजूदा संवाद तंत्र के माध्यम से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करने के वास्ते पूर्वी लद्दाख में शेष इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी करेगा ताकि दोनों पक्ष अपने बलों को पीछे हटा सकें । यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों की सेनाओं ने पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया हाल में पूरी की है । विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की पिछले सप्ताह ही चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत हुई थी जिसमें हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की गयी थी । उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष भारत-चीन सीमा मुद्दों पर विचार विमर्श एवं सहयोग तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) और वरिष्ठ कमांडर स्तर पर बैठकों में हमारे साथ काम करे ताकि शेष क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जा सके । ’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इससे दोनों पक्षों के लिये पूर्वी लद्दाख में अपने बलों को पीछे हटाना सुगम होगा क्योंकि इससे ही शांति बहाल हो सकेगी और हमारे द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिये माहौल बन सकेगा । ’’ गौरतलब है कि दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था । हालांकि कुछ मुद्दे अभी बने हुए हैं । समझा जाता है कि बातचीत के दौरान भारत ने गोगरा, हाट स्प्रिंग, देपसांग जैसे क्षेत्रों से भी तेजी से पीछे हटने पर जोर दिया था । विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले सप्ताह करीब 75 मिनट तक टेलीफोन पर बात की थी।

जयशंकर ने वांग से कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिये सीमा पर शांति एवं स्थिरता जरूरी है । दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा और भारत चीन संबंधों के सम्पूर्ण आयामों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की । जयशंकर ने वांग से कहा था कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं।

बीस फरवरी को मोल्दो/ चुशूल सीमा के चीनी हिस्से पर चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक का 10वां दौर आयोजित किया गया था। रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इसमें दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो झील क्षेत्र में अग्रिम मोर्चे पर फौजों की वापसी का सकारात्मक मूल्यांकन किया था ।

सीमा पर शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए जरूरी बताते हुए भारत ने चीन से कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल के लिये यह जरूरी है कि टकराव वाले बाकी सभी इलाकों से सैनिकों को हटाया जाए ।
गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर साजो-सामान के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी।

इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। झड़प के करीब आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि उसके भी चार सैन्यकर्मी मारे गए थे।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency

Advertising