पाक अदालत ने अखबारों में दिया इश्तिहार, शरीफ को 24 नवंबर तक पेश होने कहा

Saturday, Oct 10, 2020 - 04:58 PM (IST)

इस्लामाबाद, 10 अक्टूबर (भाषा) इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने अखबारों में इश्तिहार के जरिये, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भगोड़ा घोषित होने से बचने के लिये, 24 नवंबर तक अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

दरअसल, शरीफ ने लंदन स्थित अपने आवास पर गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट स्वीकार करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया, जिसके बाद अदालत का यह आदेश आया है। न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी और न्यायमूर्ति आमिर फारूक की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि गवाहों के बयानों और दस्तावेजों की पड़ताल से यह जाहिर होता है कि अल अजीजिया और एवेनफील्ड रिश्वत मामलों में अदालत में शरीफ की उपस्थिति सुनश्चित करने के लिये उनके खिलाफ जारी गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट को तामील करने की पूरी कोशिश की गई। अदालत ने सात अक्टूबर को प्रथम सचिव (दूतावास मामलों), दिलदार अल एब्रो और लंदन स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के काउंसलर अताशे राव अब्दुल हन्नान तथा विदेश मंत्रालय में यूरोप-1 के लिये निदेशक मोहम्मद मुबशीर खान के बयान दर्ज किये थे। उन्होंने अदालत को बताया कि अदालत में शरीफ की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये गैर जमानती वारंट पहुंचाने के अदालती आदेश के अनुपालन में कोशिशें की गई। उन्होंने बताया कि कोशिशों के बावजूद 15 सितंबर को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी वारंट को तामील नहीं किया जा सका। लंदन स्थित शरीफ के आवास पर उनके प्रतिनिधियों के रवैये से नाराज उच्च न्यायालय ने सात अक्टूबर को आदेश दिया कि उन्हें तलब करने के लिये अखबारों में विज्ञापन दिया जाए। अदालत ने संघीय सरकार को डॉन और जंग अखबार में इस संबंध में प्रकाशित किये जाने वाले विज्ञापनों का खर्च वहन करने का निर्देश दिया। सरकार ने बाद में अदालत को बताया कि इन अखबारों में विज्ञापनों के लिये 60,000 रुपये भुगतान किये गये। अदालत ने शरीफ से 24 नवंबर तक उसके समक्ष पेश होने को कहा है, अन्यथा उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद उनकी संपत्ति और पासपोर्ट जब्त किये जा सकते हैं। पीएमएल-एन प्रमुख को इससे पहले सितंबर में भगोड़ा घोषित किया गया था और उनहोंने अपने नाम से जारी गिरफ्तारी वारंट कई बार स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे शरीफ अपने इलाज के सिलसिले में पिछले साल नवंबर से लंदन में हैं। उल्लेखनीय है कि अदालतों और सरकार ने उन्हें इलाज की खातिर आठ हफ्तों के लिये वहां जाने की इजाजत दी थी। लेकिन वह वापस नहीं आये हैं, जबकि उनके वकीलों ने अदालत से कहा कि वह अभी रोग से उबर रहे हैं। शरीफ ने 20 सितंबर को एक बयान में पाकिस्तानी सेना को देश की राजनीति में हस्तक्षेप के लिये जिम्मेदार ठहराया था। उनकी इस टिप्पणी के बाद से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उनकी वापसी पर जोर दिया रहा है। पिछले महीने अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इससे पहले शरीफ को भ्रष्टाचार और धन शोधन के आरोपों में सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। ये मामले पनामा पेपर्स में हुए खुलासे से संबद्ध थे। शरीफ को दोनों मामलों में जमानत मिल गई और उन्हें इलाज के लिये पिछले साल नवंबर में लंदन जाने की भी इजाजत मिल गई थी। मई में लंदन के एक कैफे में शरीफ के परिवार के साथ चाय पीने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इसे लेकर उनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बहस छिड़ गई थी। पिछले महीने लंदन की एक सड़क पर शरीफ के टहलने की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल होने के बाद सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसे लेकर सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के अंदर भी यह मांग उठी कि शरीफ को वापस लाया जाए।

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PTI News Agency

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