भारत में हाल के घटनाक्रमों से अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंता : अमेरिकी सांसदों को बताया गया

Tuesday, Sep 22, 2020 - 09:29 PM (IST)



वाशिंगटन, 22 सितंबर (भाषा)
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर की एक कूटनीतिज्ञ ने अमेरिकी सांसदों को बताया कि ऐसे समय में जब अधिनायकवादी चीन दुनिया भर में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में जुटा है, भारत वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है लेकिन वहां हाल में हुए घटनाक्रमों ने देश की दिशा और धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर गहरी चिंता पैदा की है।


थिंक टैंक काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशंस में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया की लिये सीनियर फेलो ऐलिसा आयर्स ने कहा कि भारत में भेदभाव के लिये निसंदेह कई चुनौतियां हैं जो कई बार उसकी कई उपलब्धियों को भी ढक लेती हैं, लेकिन उसकी विशेषताएं और विशालता और बहुदलीय प्रणाली के साथ निगरानी और संतुलित व्यवस्था ने भारत को वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ के तौर पर स्थापित किया है।
उन्होंने कहा, “ऐसे समय में और भी भारत का महत्व बढता है ,जब दुनिया में चारों तरफ अधिनायकवाद बढ़ रह है और तब जब अधिनायकवादी चीन अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि भारत में हाल के घटनाक्रम, खास तौर पर मई 2019 में भारतीय जनता पार्टी के फिर से चुनाव जीतने के बाद बीते एक वर्ष के दौरान, देश की दिशा और धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों की स्थिति को लेकर गहरी चिंताएं पैदा करते हैं।”
सदन की विदेश मामलों की समिति की एशिया, प्रशांत और निरस्त्रीकरण उपसमिति के समक्ष अपने लिखित बयान में आयर्स ने दिसंबर 2019 में संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लागू करने पर चिंता जताई। समिति मंगलवार को “उभरते ज्वार को रोकना: एशिया में मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मूल्य” पर यह सुनवाई हुई।
उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक और अमेरिका का महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता व बढ़ता रणनीतिक साझेदार है।

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PTI News Agency

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