दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाएं सहयोगी देश: पाकिस्तान
Tuesday, Sep 15, 2020 - 07:06 PM (IST)
इस्लामाबाद, 15 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान ने मंगलवार को सहयोगी देशों से दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया है। पाकिस्तान इस समय अपनी सरजमीं पर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई और 26/11 मुंबई हमलों और पठानकोट हमले के दोषियों समेत विभिन्न आतंकवादी घटनाओं के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने को लेकर अमेरिका और भारत की ओर से दबाव का सामना कर रहा है।
भारत और अमेरिका ने पिछले सप्ताह छद्म आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए सीमा पार आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों द्वारा उत्पन्न खतरों पर चर्चा करते हुए अलकायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन समेत सभी आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया था।
दोनों देशों ने नौ और दस सितंबर को डिजिटल माध्यमों से भारत-अमेरिका आतंकवाद रोधी संयुक्त कार्य समूह की 17वीं बैठक और भारत-अमेरिका आधिकरिक स्तरीय संवाद के तीसरे सत्र का आयोजन किया था।
बैठक के दौरान दोनों देशों ने कहा था कि पाकिस्तान को तत्काल यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उसकी सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों के लिये नहीं किया जा रहा है। साथ ही उसको 26/11 मुंबई हमलों और पठानकोट हमले समेत आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों के जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहिये।
अमेरिका ने भारत के लोगों और सरकार को सहयोग देते रहने तथा आतंकवाद के खिलाफ जंग जारी रखने की बात भी दोहराई थी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने 10 सितंबर के अमेरिका-भारत संयुक्त बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सहयोगी देशों को दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये और ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिये, जिसका जमीनी हकीकत से कोई वास्ता न हो।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''''हम संयुक्त बयान में पाकिस्तान के जिक्र को अस्वीकार करते हुए इसकी कड़ी निंदा करते हैं।'''' गौरतलब है कि पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ''ग्रे'' सूची में रखते हुए उससे 2019 के अंत तक धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को कम करने के लिये कार्य योजना लागू करने के लिये कहा था। हालांकि बाद में कोविड-19 के चलते इसकी समयसीमा बढ़ा दी गई थी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
भारत और अमेरिका ने पिछले सप्ताह छद्म आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए सीमा पार आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों द्वारा उत्पन्न खतरों पर चर्चा करते हुए अलकायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन समेत सभी आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया था।
दोनों देशों ने नौ और दस सितंबर को डिजिटल माध्यमों से भारत-अमेरिका आतंकवाद रोधी संयुक्त कार्य समूह की 17वीं बैठक और भारत-अमेरिका आधिकरिक स्तरीय संवाद के तीसरे सत्र का आयोजन किया था।
बैठक के दौरान दोनों देशों ने कहा था कि पाकिस्तान को तत्काल यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उसकी सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों के लिये नहीं किया जा रहा है। साथ ही उसको 26/11 मुंबई हमलों और पठानकोट हमले समेत आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों के जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहिये।
अमेरिका ने भारत के लोगों और सरकार को सहयोग देते रहने तथा आतंकवाद के खिलाफ जंग जारी रखने की बात भी दोहराई थी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने 10 सितंबर के अमेरिका-भारत संयुक्त बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सहयोगी देशों को दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये और ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिये, जिसका जमीनी हकीकत से कोई वास्ता न हो।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''''हम संयुक्त बयान में पाकिस्तान के जिक्र को अस्वीकार करते हुए इसकी कड़ी निंदा करते हैं।'''' गौरतलब है कि पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ''ग्रे'' सूची में रखते हुए उससे 2019 के अंत तक धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को कम करने के लिये कार्य योजना लागू करने के लिये कहा था। हालांकि बाद में कोविड-19 के चलते इसकी समयसीमा बढ़ा दी गई थी।
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