तिब्बती पठार के अतीत में शुष्क रहने की ओर इशारा करता है 60 लाख साल पुराने पक्षी का जीवाश्म : अध्ययन

Sunday, Apr 05, 2020 - 06:44 PM (IST)

बीजिंग, पांच अप्रैल (भाषा) अनुसंधानकर्ताओं ने पश्चिमी चीन के 60 से 90 लाख साल पुरानी चट्टानों से पक्षियों की एक नयी प्रजाति का जीवाश्म खोजा है। यह खोज तिब्बती पठार के छोर पर शुष्क, बंजर प्राकृतिक वास होने की ओर इशारा करती है। तिब्बत का पठार अभी अपनी वर्तमान अधिकतम ऊंचाई तक बढ़ गया है।
चीनी विज्ञान अकादमी के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह पक्षी सैंडग्रोस प्रजाति का है। सैंडग्रोस पक्षियों की 16 प्रजातियों का समूह है जो पंडुक और कबूतरों से संबंधित है जो यूरोप, एशिया और अफ्रीका के सबसे शुष्क इलाकों में रहते हैं।

अध्ययन में नयी प्रजाति को लिंग्जियाविस इनएक्वोसस नाम दिया गया है और यह सैंडग्रोस जीवाश्म रिकॉर्ड में आए करीब दो करोड़ साल के अंतर को पाटती है।
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि आधे कंकाल के रूप में मिले जीवाश्म में शरीर का ज्यादातर हिस्सा है जैसे कंधे की हड्डियां, विशबोन (कांटानुमा हड्डी), दोनों पंखों की हड्डियां, रीढ़ का जोड़ और पैर का हिस्सा है। साथ ही बताया कि सिर वाला हिस्सा गायब था।

अध्ययन के प्रथम लेखक जी जिहेंग ने कहा, “एशिया के सैंडग्रोस के सबसे पुराने जीवाश्म और समूह के सबसे पूर्ण जीवाश्म के तौर पर मिला यह नया कंकाल सैंडग्रोस की उत्पत्ति की हमारी समझ को विस्तार देने के साथ ही तिब्बती पठार से जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में प्रमुख कड़ी साबित होगा।”
खोज के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि तिब्बती पठार के बगल का हिस्सा भी उतना ही शुष्क था जब लिंग्जियाविस इनएक्वोसस मायोसीन के तौर पर प्रसिद्ध अवधि के दौरान पाए जाते थे।

यह अध्ययन ‘फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।



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PTI News Agency

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