नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को डर, कोरोना के बहाने निजता के अधिकार को हो सकता है दूरगामी नुकसान

Sunday, Mar 29, 2020 - 08:35 PM (IST)

वाशिंगटन, 29 मार्च (एएफपी) डिजिटल निगरानी और स्मार्टफोन प्रौदयोगिकी कोरोना वायरस का मुकाबला करने में मददगार साबित हो रही है लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं को डर है कि इससे निजता और डिजिटल अधिकार को दूरगामी नुकसान होगा।
चीन से लेकर सिंगापुर और इजराइल तक सरकारों ने अपने नागरिकों की आवाजाही की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी का आदेश दिया है ताकि संक्रमण को रोका जा सके। यूरोप और अमेरिका में प्रौद्योगिकी कंपनियां संक्रमण पर बेहतर तरीके से काबू पाने के लिए ‘‘अनाम’’ स्मार्टफोन डाटा साझा करने का काम शुरू कर चुकी हैं।
इसने निजता कार्यकर्ताओं को गहराई से सोचने को मजबूर किया है जो मानते हैं कि जिंदगियों को बचाने के लिए यह प्रौद्योगिकी जरूरी है लेकिन साथ ही संभावित दुरुपयोग को लेकर नाराज हैं।
इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन ने ऑनलाइन पोस्ट में कहा, ‘‘ वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये दुनियाभर में सरकारें अभूतपूर्व तरीके से निगरानी के नये अधिकारों की मांग कर रही हैं। कई हमारी निजता में घुसपैठ करेंगे, मुक्त अभिव्यक्ति को बाधित करेंगे और असुरक्षित लोगों के समूह पर बोझ डालेंगे।’’
फाउंडेशन ने कहा कि सरकारों को वैज्ञानिक आधार पर साबित करना चाहिए कि ये अधिकार वास्तव में प्रभावी और जरूरी और उचित हैं।
उल्लेखनीय है कि हांगकांग ने विदेश से आने वाले लोगों को निगरानी के लिए ब्रेसलेट पहनने का निर्देश दिया है जबकि सिंगापुर ने पृथक रखे गए लोगों की डिजिटल निगरानी को समर्पित टीम का गठन किया है।
इजराइल की सुरक्षा एजेंसी शीन बेट नागरिकों की निगरानी के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी और टेलीकॉम डाटा का इस्तेमाल कर रही है।
इन सबसे आगे चीन ने कठोरतम उपाय अपनाते हुए लोगों को स्मार्टफोन दिया है जिसमें हरे, पीले और लाल रंग का संकेतक है जो बताता है कि नागरिक कहां जा सकते हैं और कहां नहीं।
मानवाधिकार पर नजर रखने वाले संगठन फ्रीडम हाउस ने कहा कि चीन उन देशों में हैं जिसने संकट को लेकर सेंसरशिप लगाया जबकि अन्य ने वेबसाइटों को ब्लॉक किया या इंटरनेट सेवाएं रोक दीं।
संगठन ने कहा, ‘‘ हमने कई चिंताजनक संकेत देखे जिसमें अधिनायकवादी सरकारें कोरोना वायरस का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने, निगरानी बढ़ाने, मौलिक अधिकारों को सीमित करने में कर रही है जो जन स्वास्थ्य के लिए न्यायोचित जरूरतों से परे है। ’’
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट्स सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी इनोवेशन के अध्यक्ष डेरेल वेस्ट ने कहा, ‘‘ यह खतरा है कि ये हथियार सामान्य हो जाएंगे और महामारी की गति कम होने पर भी इसका इस्तेमाल जारी रहेगा।’’
हालांकि, डिजिटल निजता के कुछ समर्थकों ने महामारी को रोकने के लिए डाटा के इस्तेमाल का समर्थन भी किया है।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता और स्टैनफोर्ड सेंटर फॉर इंटरनेट ऐंड सोसाइटी से संबद्ध रयान कालो ने कहा, ‘‘मैं प्रौद्योगिकी और डाटा की मदद से इस महामारी से लड़ने के खिलाफ नहीं हूं।’’
इस बीच कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक एप विकसित किया है जिसमें यूजर की जानकारी और संक्रमण की स्थिति का पता चल सकेगा और उसकी निजता भी सुरक्षित रहेगी।
एएफपी धीरज दिलीप दिलीप 2903 2030 वाशिंगटन

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency

Advertising