सिंध प्रांत में पाकिस्तान के खिलाफ बगावत

Wednesday, Feb 08, 2017 - 01:06 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान आतंक का अड्डा है इस बात के न जाने कितने सबूत भारत ने दुनिया के सामने रखे लेकिन पाकिस्तान ने इन सबूतों को कभी तवज्जो नहीं दी। इस देश ने कभी ये नहीं माना कि आतंक उसके देस में पनप रहा है। अब इसका खामियाजा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ रहा है। धीरे-धीरे दुनिया के सभी देश पाकिस्तान से मुंह मोड़ने लगे हैं।

भारत में मोदी सरकार आने के बाद पाकिस्तान में आतंक के खिलाफ कार्रवाई भी तेज हुई है। यहां तक कि अब आतंकी देश में ही विरोध के स्वर सुनने को मिल रहे हैं। पाकिस्तान की ज्यादती के विरोध में ब्लूचिस्तान में उठ रहीं आवाजों में एक और स्वर शामिल हो गया। अब सिंध प्रांत में भी पाकिस्तान से आजादी प्राप्त करने के लिए बगावत शुरू हो गई है। इसके साथ ही पाक में चीन के सहयोग से बन रहे अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का शुरू से विरोध किया जाता रहा है। इस बीच पाकिस्तान में भी इसका जबरदस्त विरोध देखते हुए चीन घबरा गया है।

जहां तक चीन की बात है वो पाकिस्तान का साथ देता रहा है। लेकिन इसका नतीजा ये हुआ कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलिया को लेकर पाक सांसदों ने भी विरोध जताया। इस गलियारे को ईस्ट इंडिया कंपनी जैसा अनुभव बनने की आशंका जताने के ठीक बाद चीन के राजदूत ने तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान से मुलाकात की। पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ के मुताबिक चीन ने इमरान खान से आश्वासन लिया कि उनकी पार्टी नवाज शरीफ के विरोध प्रदर्शनों में गलियारे को निशाना नहीं बनाएगी।

इस वक्त पाकिस्तान के अंदरूनी हालात बहुत खराब हो चुके हैं और सरकार बिल्कुल ही अप्रभावी नजर आ रही है। एक तो पाक सेना वहां की नागरिक सरकार की सुन नहीं रही है और दूसरे विपक्षी पार्टियां भी उसे एक कमजोर सरकार मान रही हैं। पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के इमरान खान ने तो यहां तक कह दिया है कि पाकिस्तानी अवाम नवाज शरीफ जैसा बुजदिल नहीं है और हम सब अपनी सेना के साथ खड़े हैं।

जब भी पाकिस्तान के अंदरूनी हालात खराब होते हैं और वहां की सेना और सरकार के बीच सामंजस्य बिगड़ता है, तब-तब सत्ता-पलट की आशंका बढ़ जाती है। दूसरी ओर, उरी आतंकी हमले के बाद से भारत और कुछ पड़ोसी देशों में पाकिस्तान-विरोध में जो भी गतिविधियां हुई हैं, उससे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्तर पर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान कुछ अलग-थलग तो पड़ ही गया है।
 

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