पोप फ्रांसिस के बाद किसके सिर सजेगा ताज, जानिए कौन बन सकता अगला वेटिकन सम्राट ?
punjabkesari.in Monday, Apr 21, 2025 - 04:06 PM (IST)

International Desk: कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में उन्हें डबल निमोनिया की वजह से रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था। वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने सोमवार सुबह 7:35 बजे उनके निधन की आधिकारिक घोषणा की। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब सवाल उठता है अगला पोप कौन होगा? नए पोप का चुनाव पैपल कॉन्क्लेव नामक प्रक्रिया से होता है, जिसमें 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल्स मतदान करते हैं। इस बार 138 कार्डिनल्स के पास वोटिंग अधिकार है।
इन 5 नामों पर है सबसे ज़्यादा चर्चा
कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन (इटली, उम्र 70)
वेटिकन के विदेश मंत्री जैसे पद पर हैं। पोप फ्रांसिस के सबसे भरोसेमंद साथी। प्रशासन और कूटनीति में मजबूत पकड़ है।
कार्डिनल पीटर एर्डो (हंगरी, उम्र 72)
रूढ़िवादी सोच वाले। परंपरागत कैथोलिक नियमों के सख्त समर्थक। यूरोपीय चर्चों में मजबूत पकड़ रखते हैं।
कार्डिनल मातेओ ज़ुप्पी (इटली, उम्र 69)
प्रगतिशील चेहरा। LGBTQ, युवाओं और संवाद की बात करने वाले। पोप फ्रांसिस की सोच के काफ़ी क़रीब माने जाते हैं।
कार्डिनल रेमंड बर्क (अमेरिका, उम्र 70)
चर्च के कट्टरपंथी रूढ़िवादी। पोप फ्रांसिस की नीतियों पर खुलकर आलोचना कर चुके हैं। परंपराओं के पक्षधर।
कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले (फिलीपींस, उम्र 67)
कार्डिनल लुइस अगर चुने जाते हैं, तो पहले एशियाई पोप बन सकते हैं। युवा, करिश्माई, और चर्च के उदारवादी चेहरे के तौर पर देखे जाते हैं।
कैसे चुना जाता है नया पोप?
पोप के निधन के बाद शुरू होती है “पैपल कॉन्क्लेव” की प्रक्रिया। इसमें 80 साल से कम उम्र के 138 कार्डिनल्स एक गुप्त मतदान के ज़रिए नए पोप का चुनाव करते हैं।चुनाव वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपल में होता है। जब किसी एक व्यक्ति को दो-तिहाई बहुमत मिल जाता है, तब उसका नाम दुनिया के सामने लाया जाता है।
क्या अफ्रीका देगा नया पोप?
इस बार संभावना जताई जा रही है कि अगला पोप अफ्रीका से भी आ सकता है। दो नाम उभरकर सामने आए हैं। कार्डिनल पीटर टर्कसन (घाना) जो न्याय और शांति की पैरवी करने वाले नेता हैं। औरकार्डिनल फ्रीडोलिन अंबोंगो (कांगो) से जो कट्टर रूढ़िवादी लेकिन शांति के समर्थक।
पोप फ्रांसिस की अंतिम अपील
अपने निधन से एक दिन पहले ईस्टर संडे के अवसर पर पोप फ्रांसिस ने दुनिया को धार्मिक स्वतंत्रता और विचारों की आज़ादी का संदेश दिया। उन्होंने "उरबी एट ऑर्बी" आशीर्वाद को अपने सहायक से पढ़वाया और गाजा की स्थिति को 'दुखद और नाटकीय' बताया। साथ ही उन्होंने यहूदी विरोध (एंटी-सेमिटिज़म) पर चिंता जताई। पोप फ्रांसिस ने 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद चर्च की बागडोर संभाली थी। वह इतिहास में पहले जेसुइट पोप अमेरिकी महाद्वीप से चुने गए पोप और लगभग 1000 साल में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उन्होंने चर्च को ज़्यादा समावेशी, आधुनिक और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में कई प्रयास किए। कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले (फिलिपींस): यदि चुने गए, तो बनेंगे पहले एशियाई पोप। LGBTQ और तलाकशुदा कैथोलिकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया।